'भारतीय शास्त्रीय संगीत'

शास्त्रीय संगीत और दूसरे संगीत में क्या फर्क है? योग शास्त्र में कहा जाता है – नाद ब्रह्म; यानी ध्वनि ही ईश्वर है। ध्वनि इसी समझ से जन्म हुआ है भारतीय शास्त्रीय संगीत का। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि हमारा शरीर और सारा जगत एक ध्वनि या फिर कंपन ही है। इसका अर्थ है कि अलग-अलग तरह की ध्वनियाँ हम पर अलग-अलग तरह के असर डाल सकती हैं। अगर आप ऐसे लोगों को गौर से देखेंगे जो शास्त्रीय संगीत से गहराई से जुड़े हैं, तो आपको लगेगा कि वे स्वाभाविक रूप से ही ध्यान की अवस्था में रहते हैं। इसलिए इस संगीत को महज मनोरंजन के साधन के तौर पर ही नहीं देखा गया, बल्कि यह आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए एक साधन की तरह था।तनाव पूर्ण जीवन शैली में मानसिक तनाव से बचना बहुत कठिन है परंतु इससे छुटकारा पाने का सबसे प्रभावशाली एवं सशक्त माध्यम है- ‘भारतीय शास्त्रीय संगीत’

संगीत और गर्भावस्था

संगीत चिकित्सा से ये अनुभव किया गया है कि संगीत महिलाओं  के लिए गर्भावस्था के पूरे नौ माह बहुत लाभदायक होता है। गर्भावस्था के दौरान शास्त्रीय संगीत सुनने से गर्भिणी के स्वास्थ्य पर अच्छा परिणाम देखने को मिलता है तथा संगीत के प्रभाव से अपरिपक्व शिशु अधिक तेजी से बढ़ने लगता है। विभिन्न वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया संगीत से मलेरिया, अनिद्रा, मिर्गी, क्षय रोग, रक्तचाप, डीप्रेशन जैसे अनेक बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। इसीलिए शास्त्रीय  संगीत को एक दर्द निवारक औषधि भी मानते हैं ।

संगीत और स्वास्थ्य

एक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक ज्ञान प्रकाश यादव कहते हैं कि रागों से हार्मोन्स कंट्रोल किये जा सकते हैं। पाश्चात्य जगत में प्रसिद्ध रॉक संगीत (Rock Music) बजाने वाले और सुनने वाले की जीवन शक्ति क्षीण होती है है। डॉ. डायमण्ड ने प्रयोगों से सिद्ध किया कि सामान्यतया हाथ का एक स्नायु ‘डेल्टोइड’ 40 से 45 कि.ग्रा. वजन उठा सकता है। जब रॉक संगीत (Rock Music) बजता है तब उसकी क्षमता केवल 10 से 15 कि.ग्रा. वजन उठाने की रह जाती है। इस प्रकार रॉक म्यूज़िक से जीवन-शक्ति का ह्रास होता है और अच्छे, सात्त्विक और पवित्र संगीत की ध्वनि से एवं प्राकृतिक आवाजों से जीवन शक्ति का विकास होता है ।

संगीत न केवल आत्मा बल्कि मन व शरीर को सही पोषण देने के लिए एक बड़ा माध्यम है।

यदि शास्त्रीय संगीत के साथ भगवान का नाम जोड़ दिया जाए तो उसका दुगुना फायदा होता है। आपके मन को शांति मिलेगी, बीमारियों से छुटकारा मिलेगा और भगवान का नाम जपने से पुण्य भी प्राप्त होगा। भगवन नाम जप की महिमा अनंत है, भगवान के नाम का जप सभी विकारों को मिटाकर दया, क्षमा, निष्कामता आदि दैवीय गुणों को प्रकट करता है। भगवन-नाम जप मात्र से दुःख, चिंता, भय, शोक, रोग आदि निवृत्त होने लगते हैं। मनुष्य के अनेक पाप-ताप भस्म होने लगते हैं, उसका हृदय शुद्ध होने लगता है।

सुनिये कैसे पूज्य बापुजी भी शास्त्रीय संगीत का महत्व बता रहे हैं :-

Hits: 41

Open chat
1
गर्भ संस्कार केन्द्र में सम्पर्क करें -
गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।