गर्भ संवाद

  • गर्भ संवाद यानि माता का गिर्भस्थ शिशु से संवाद ।

  • संत श्री आशारामजी बापू कहते हैं ” पहला विश्वविद्यालय माँ है ।” माँ के दिए अच्छे संस्कारों ही बच्चे अच्छाई की तरफ जाते हैं ।

  • स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है “मेरे बौद्धिक जीवन का श्रेय मेरी माता को जाता है ।” कोई भी बालक कैसा बनेगा इसका श्रेय उसकी माता को जाता है । संतान को जो शिक्षा और संस्कार माता देती है वह कोई भी संस्था व विश्वविद्यालय नहीं दे सकते । 

  • डॉ. बार्बारा किसिलेवस्की (प्रोफेसर ऑफ नर्सिंग, क्वीन्स युनिवर्सिटी, कनाडा) ने एक प्रयोग के दौरान तीस गर्भस्थ शिशुओं को उनकी माँ द्वारा पढ़ी कविता कैसेट के माध्यम से सुनायी और अलग तीस गर्भस्थ शिशुओं को अजनबी महिला की आवाज में । अपनी माँ की आवाज में कविता सुनकर गर्भस्थ शिशुओं की हृदयगति बढ़ गई जबकि अजनबी महिला की आवाज सुनकर हृदयगति घट गयी । ऐसे कई अनुसंधानों से पता चलता है कि गर्भवस्था से ही माँ की आवाज तथा उसका स्मरण रखने की क्षमता शिशु में होती है । एक अनुसंधान में यह भी पता चला है कि गर्भस्थ शिशु न केवल सुनता है बल्कि उसके अनुसार उसी तरह बोलने का प्रयास भी करता है । अतः माता को गर्भसंवाद द्वारा अनपे बच्चे को सर्वश्रेष्ठ ज्ञान देने का सतत प्रयास करते रहना चाहिए । 

गर्भ संवाद

  • गर्भ संवाद यानि माता का गिर्भस्थ शिशु से संवाद ।

  • संत श्री आशारामजी बापू कहते हैं ” पहला विश्वविद्यालय माँ है ।” माँ के दिए अच्छे संस्कारों ही बच्चे अच्छाई की तरफ जाते हैं ।

  • स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है “मेरे बौद्धिक जीवन का श्रेय मेरी माता को जाता है ।” कोई भी बालक कैसा बनेगा इसका श्रेय उसकी माता को जाता है । संतान को जो शिक्षा और संस्कार माता देती है वह कोई भी संस्था व विश्वविद्यालय नहीं दे सकते । 

  • डॉ. बार्बारा किसिलेवस्की (प्रोफेसर ऑफ नर्सिंग, क्वीन्स युनिवर्सिटी, कनाडा) ने एक प्रयोग के दौरान तीस गर्भस्थ शिशुओं को उनकी माँ द्वारा पढ़ी कविता कैसेट के माध्यम से सुनायी और अलग तीस गर्भस्थ शिशुओं को अजनबी महिला की आवाज में । अपनी माँ की आवाज में कविता सुनकर गर्भस्थ शिशुओं की हृदयगति बढ़ गई जबकि अजनबी महिला की आवाज सुनकर हृदयगति घट गयी । ऐसे कई अनुसंधानों से पता चलता है कि गर्भवस्था से ही माँ की आवाज तथा उसका स्मरण रखने की क्षमता शिशु में होती है । एक अनुसंधान में यह भी पता चला है कि गर्भस्थ शिशु न केवल सुनता है बल्कि उसके अनुसार उसी तरह बोलने का प्रयास भी करता है । अतः माता को गर्भसंवाद द्वारा अनपे बच्चे को सर्वश्रेष्ठ ज्ञान देने का सतत प्रयास करते रहना चाहिए । 

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गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।