संस्कार शब्द सुनने में बड़ा अच्छा लगता है । हम संस्कारों के विषय में बहुत बातें भी करते हैं लेकिन क्या कभी हमने यह सोचा है कि आखिर सही मायने में संस्कार क्या हैं ?
महर्षि चरक ने कहा है कि – पहले से विद्यमान दुर्गुणों को हटाकर उनकी जगह सद्गुणों का आधान कर देने का नाम संस्कार है ।
संस्कार भले ही एक छोटा सा शब्द है लेकिन जीवन में उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि फूल के लिए सुगंध । जिस प्रकार सुगंधहीन पुष्प कोई पसंद नहीं करता उसी प्रकार संस्कारहीन मनुष्य भी किसीको प्रिय नहीं होता । संस्कार ही हमारे भारतीय संस्कृति का आधारस्तंभ है । यही कारण है कि हमारी भारतीय संस्कृति में संस्कारों को इतना महत्व दिया गया है ।