गर्भ में शिशु को कैसे बनाएं जीनियस
हर माँ की चाहना होती कि उसका बच्चा बुद्धिमान हो, प्रज्ञावान हो, असाधारण प्रतिभाओं का स्वामी हो । पर कई बार वो इस गलतफहमी में रह जाती हैं कि जन्म के बाद कुछ खिलाने से या कोई उपाय करने से बच्चे की बुद्धि तीव्र होगी । लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे प्राचीन ऋषियों ने इसके लिए प्राणायाम, जप, ध्यान आदि अनेक यौगिक प्रयोगों का आविष्कार किया है जिनके नियमित अभ्यास से गर्भावस्था से ही बच्चे की बुद्धि को विलक्षण बनाया जा सकता है ।
महर्षि वाल्मीकि ने ध्यान के द्वारा अपनी बौद्धिक शक्तियों का इतना विकास किया कि श्रीरामावतार से पूर्व ही उन्होंने श्रीराम की जीवनी को ʹरामायणʹ के रूप में लिपिबद्ध कर दिया था । इसी प्रकार महर्षि वेदव्यासजी श्रीमद्भागवत महापुराण में आज से हजारों वर्ष पूर्व ही कलियुगी मनुष्यों के लक्षण बता दिये थे । स्मृतिशक्ति को बढ़ानेवाला भ्रामरी प्राणायाम हमारे ऋषियों की एक विलक्षण खोज है । भ्रामरी प्राणायाम द्वारा मस्तिष्क की कोशिकाओं में स्पंदन होता है जिसके फलस्वरूप स्मृति के लिए दिमाग का जो हिस्सा कार्य करता है उसमें एसीटाइलकोलीन, डोपामीन तथा प्रोटीन के बीच होनेवाली रासायनिक क्रिया को उत्तेजना मिलती है तथा स्मृतिशक्ति का चमत्कारिक विकास होता है ।
कैसे करें भ्रामरी प्राणायाम ?
विधिः प्रातःकाल शौच-स्नानादि से निवृत्त होकर कम्बल के आसन पर पद्मासन, सिद्धासन अथवा सुखासन में बैठ जायें और आँखें बन्द कर लें । ध्यान रहे कि कमर व गर्दन एक सीध में रहें । अब दोनों हाथों की तर्जनी (अँगूठे के पासवाली) उँगलियों से अपने दोनों कानों के छिद्रों को बन्द कर लें । इसके बाद खूब गहरा श्वास लेकर कुछ समय तक रोके रखें तथा मुख बन्द करके श्वास छोड़ते हुए भौंरे की तरह ʹૐ…..ʹ का लम्बा गुंजन करें । इस प्रक्रिया में यह ध्यान अवश्य रखें कि श्वास लेने तथा छोड़ने की क्रिया नथुनों के द्वारा ही होनी चाहिए । मुख के द्वारा श्वास लेना अथवा छोड़ना निषिद्ध है । श्वास छोड़ते समय होंठ बन्द रखें तथा ऊपर व नीचे के दाँतों के बीच में कुछ अंतर रखें ।
आइये जानते हैं कि और ऐसा क्या करें कि गर्भावस्था से बच्चे को मेधावी और विचारशील बनाया जा सके :
- गर्भावस्था के नौ माह में पंचामृत का सेवन करने से बालक की बुद्धि तेज होती है
- गर्भावस्था के दूसरे माह में किये जानेवाले पुंसवन संस्कार से बालक हृष्ट-पुष्ट और बुद्धिमान होता है ।
- गर्भावस्था के नौ माह में हृदय व मस्तिष्क पोषक औषधियों से संपन्न गर्भपुष्टि कल्प का सेवन करने से बालक की बुद्धि तीव्र होती है ।
- आरम्भ के तीन महीनों में देसी गाय का ताज़ा धारोष्ण दूध अथवा गाय के दूध में शुद्ध चाँदी की कोई भी वस्तु डालकर उबालकर ठंडा करके मिश्री मिलाया हुआ दूध पीने से बालक हृष्ट-पुष्ट व बुद्धिमान होता है ।
- बालकों के बौद्धिक विकास के लिए चौथे महीने से शुद्ध स्वर्ण के साथ ब्राह्मी, ज्योतिष्मति, वचा आदि मेध्य रसायन औषधियों से युक्त सुवर्णप्राश सुबह-शाम दूध अथवा शहद के साथ लेना हितकर होता है ।
- चौथे महीने से नौवें महीने तक पूज्य बापूजी द्वारा दिए गए गणपति मंत्र के 6 माह के अनुष्ठान से बच्चा मेधावी और बुद्धिमान होता है ।
- गर्भावस्था के चौथे, पाँचवें और छठे महीने में सारस्वत्य मंत्र का अनुष्ठान करने से बच्चा बुद्धिमान बनता है
- पाँचवें महीने से गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास विशेष रूप से होता है । अत: गर्भिणी पाचन शक्ति के अनुसार देसी गाय के दूध में 15-20 मि.ली. घी ले या दिन में दाल-रोटी, चावल में अपनी पाचन शक्ति के अनुसार एक-दो चम्मच घी ले ।
- पीपल का स्पर्श एवं परिक्रमा करने से बुद्धि सूक्ष्म और तीव्र होती है ।
- पाँचवें महीने में 2-5 बादाम और 1 अखरोट रात को भिगोकर सुबह छिलका निकालकर पीसकर अथवा खूब चबाचबाकर खाएं और ऊपर से घी मिश्रित दूध पियें । बादाम में याद्दाश्त को बढ़ानेवाले ओमेगा-3 फैटी एसिड के साथ-साथ हेल्दी फैट्स, मैग्नीशियम, विटामिन-ई और प्रोटीन कोलीन, फोलेट जैसे स्वास्थ्यवर्द्धक तत्व होते हैं । अखरोट में भी प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं । भोजन में अंजीर और किशमिश को शामिल करने से भी लाभ होता है ।
- हरी पत्तेदार सब्जियों में फोलिक एसिड खूब होता है जिसके माध्यम शिशुओं में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (ब्रेन और स्पाइन से जुड़ा दोष) के खतरे को कम कर सकते हैं । कद्दू के बीज जिंक और आयरन का एक अच्छा स्रोत होते हैं । आयरन की कमी से बच्चे में हिमोग्लोबिन और ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है । साथ ही यह कमी motor skills और cognitive skills जैसी मानसिक क्षमताओं को प्रभावित करती है । बींस में उच्च मात्रा में आयरन होता है जो कि गर्भवती और गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत आवश्यक है ।
- पर्याप्त नींद लेने से गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास ठीक तरह से होता है, लेकिन ८ घंटे से ज्यादा सोने से शिशु का मानसिक विकास रुक सकता है ।
- बच्चे को बुद्धिमान बनाने में कैल्शियम की बड़ी भूमिका होती है । कैल्शियम तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क को संदेश भेजने में मदद करता है । यदि गर्भवती प्रतिदिन एक गेहूँ के दाने के बराबर चूना एक कप अनार के रस के साथ सुबह खाली पेट लेती है तो बच्चा स्वस्थ होने के साथ-साथ बुध्दिजीवी होता है और उसका IQ लेवल बहुत अच्छा होता है (सावधान- जिन्हें पथरी की बीमारी है, वो न करें ।)
- गर्भावस्था में एक्टिव रहने से प्रतिभाशाली बच्चे जन्म लेते हैं । इस दौरान माताओं को सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, ड्राइंग, पेंटिंग, स्केचिंग, रीडिंग, संगीत, पहेलियाँ सुलझाना जैसी विभिन्न कलाओं का अभ्यास करते रहना चाहिए विशेषकर चौथे, पाँचवें व छठे माह में ।
- विद्यालाभ योग आने पर गर्भवती बहनें निम्न मंत्र का जप करके अपनी जिव्हा पर लाल चन्दन से ह्रीं लिखें । इससे अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति होती है और कवित्व शक्ति का विकास होता है – ‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वागवादिनी सरस्वती मम जिव्हाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।’ नवजात शिशु और छोटे बच्चों की माताएं स्वयं जप करके बच्चे की जिव्हा पर लिख सकती हैं ।
सावधान : गर्भावस्था के दौरान चिंता, भय, शोक, क्रोध, रुदन करने से बच्चे का बौद्धिक विकास रुक जाता है ।
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1 thought on “कैसे बनाएं अपने शिशु को गर्भ से ही जीनियस…”
Very nice article. Sabhi pregnant ladies ko in vaidik paddtiyo ka labh lena chahiye aur svyam ko swasth aur apne baccho ko genius banana chahiye.