विश्व पर्यावरण दिवस
पर्यावरण घातक वृक्ष हटायें
आरोग्य, समृद्धि व पुण्य प्रदायक वृक्ष लगायें
विश्व पर्यावरण दिवसः 5 जून 2025
वास्तव में प्रकृति और आप एक दूसरे से जुड़े हैं । आप जो श्वास छोड़ते हैं वह वनस्पतियाँ लेती हैं और वनस्पतियाँ जो श्वास छोड़ती हैं वह आप लेते हैं । आपके भाई-बंधु हैं वनस्पतियाँ ।
हम एक दिन में लगभग 1-1.5 किलो भोजन करते हैं, 2-3 लीटर पानी पीते हैं लेकिन 21600 श्वास लेते हैं । उसमें 11 हजार लीटर हवा लेते छोड़ते हैं, जिससे हमें 10 किलो भोजन का बल मिलता है । अब यह वायु जितनी गंदी (प्रदूषित) होती है, उतना ही लोगों
का (वायुरूपी) भोजन कमजोर होता है तो स्वास्थ्य भी कमजोर होता है । अब ‘गंदी वायु, गंदी वायु….’ कह के चिल्लायें इससे काम नहीं चलता । वायु को गंदा न होने दें तो वह अच्छी बात है । अतः नीम, पीपल, आँवला, तुलसी वटवृक्ष और दूसरे जो भी पेड़ हितकारी हैं वे लगाओ और हानिकारक पेड़-
नीलगिरी, अंग्रेजी बबूल व गाजर-घास हटाओ ।
नीलगिरी करता जीवनी शक्ति का नाश
नीलगिरी (सफेदा) के पेड़ की बड़ी खतरनाक, हानिकारक हवा होती है । ये वायु को गंदा करते हैं, जीवनीशक्ति हरते हैं । पानी का स्तर नीचे गिराकर भूमि को बंजर बना देते हैं ।
लोगों को सलाह दी गयी कि ‘विदेशीयो को नीलगिरी का तेल चाहिए इसलिए नीलगिरी के पेड़ लगाओ, तुम्हारी आर्थिक स्थिति अच्छी हो जायेगी ।’ आर्थिक स्थिति तो अच्छी क्या हो, शारीरिक स्थिति का विनाश कर दिया नीलगिरी ने । नीलगिरी के पेड़ लगाओ नहीं और किसी के द्वारा लगवाओ नहीं ।
अंग्रेजी बबूल से होता हवामान खराब
दूसरा हानिकारक वृक्ष है अंग्रेजी बबूल । यह काँटेदार पेड़ हवामान को अशुद्ध करता है, पानी का स्तर नीचे गिरा देता है । बबूल का धुआँ भी नुकसानकारक है और इसका दर्शन भी ऐसा ही होता है । सड़कों पर जाते समय दोनों तरफ ये जंगली बबूल देखते तो मन उद्विग्न होता है जबकि पीपल को देखकर मन प्रसन्न होता है, आह्लादित होता है ।
गाजर-घास से होती भूमि बंजर
तीसरी हानिकारक वनस्पति है गाजर-घास । इसको किसान काँग्रेस भी बोलते हैं । इसे न गाय खाती है, न भैंस, न बकरी और न ही गधा खाता है । यह खेतों में ऐसे फैलती है जैसे सूखी घास में आग लग जाय । इससे हजारों एकड़ जमीन खराब हो गयी । इस घास को नष्ट करने के लिए लोगों को, अधिकारियों को, वन विभाग और सरकार को सत
र्क रहना चाहिए
।
पर्यावरण की दृष्टि से बहुत उत्तम वृक्ष है, पीपल, बड़, नीम, तुलसी व आँवला । इनकी बड़ी भारी महिमा है हमारी सनातन संस्कृति में । अब विज्ञान ने भी समर्थन किया तो आधुनिक पढ़ाई से प्रभावित लोग जल्दी समझ जाते हैं, मान जाते हैं ।
पीपल से मिलती आरोग्यता, सात्त्विकता व होती बुद्धिवृद्धि
पीपल सात्त्विक वृक्ष है । पीपल देव की पूजा से लाभ होता है, उनकी सात्त्विक तरंगें मिलती हैं । हम भी बचपन में पीपल की पूजा करते थे । इसके पत्तों को छूकर आने वाली हवा चौबीसों घंटे आह्लाद और आरोग्य प्रदान करती है । बिना नहाये पीपल को स्पर्श करते हैं तो नहाने जितनी सात्त्विकता, सज्जन
ता चित्त में आ जाती है और नहा-धोकर अगर स्पर्श करते हैं तो दुगुनी आती है । बालकों के लिए पीपल का स्पर्श बुद्धिवर्धक है । बालकों को इसका विशेषरूप से लाभ लेना चाहिए । रविवार को पीपल का स्पर्श न करें । पीपल के वृक्ष से प्राप्त होने वाले ऋण आयन, धन ऊर्जा स्वास्थ्यप्रद हैं
। अतः पीपल के पेड़ खूब लगाओ । अगर पीपल घर या सोसायटी की पश्चिम दिशा में हो तो अनेक गुना लाभकारी है ।
"हरियाली है प्रकृति की शान, इसे बचाना है हर इंसान का काम।"
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1 thought on “विश्व पर्यावरण दिवस”
Save tree save environment no this is half truth
Whole truth is
Save pipal tree save environment