दिव्य शिशु गर्भ संस्कार किट

दिव्य शिशु संस्कार पुस्तक

इसमें आप पायेंगे गर्भावस्था के पूर्व से प्रसूति के पश्चात् तक की महत्वपूर्ण जानकारियाँ, गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारित करने की युक्ति, गर्भवती माताओं के आहार के आहार-विहार संबंधित जानकारी, नवजात शिशु के स्वागत व उनके उचित पालन-पोषण की विधि ।

दिव्य शिशु संस्कार पुस्तक

इसमें आप पायेंगे गर्भावस्था के पूर्व से प्रसूति के पश्चात् तक की महत्वपूर्ण जानकारियाँ, गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारित करने की युक्ति, गर्भवती माताओं के आहार के आहार-विहार संबंधित जानकारी, नवजात शिशु के स्वागत व उनके उचित पालन-पोषण की विधि ।

माँ तू कितनी महान पुस्तक

यह पुस्तिका भारत की पूर्वकालीन महान माताओं की गौरवगाथाओं का संकलन है । हे भारत की नारी तू कितनी महान है, तुझमें अदभुत सामर्थ्य है । निज महिमा में जाग क्योंकि माँ मात्र बालक की जननी ही नहींं बल्कि उसमें संस्कारों की जन्मदात्री व पोषणकर्ता भी है । इसीलिए गर्भावस्था के काल से ही उसमें दिव्य संस्कारों का बीज बोकर माँ अपनी संतान को अवश्य ही महानता की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकती है ।

माँ तू कितनी महान पुस्तक

यह पुस्तिका भारत की पूर्वकालीन महान माताओं की गौरवगाथाओं का संकलन है । हे भारत की नारी तू कितनी महान है, तुझमें अदभुत सामर्थ्य है । निज महिमा में जाग क्योंकि माँ मात्र बालक की जननी ही नहींं बल्कि उसमें संस्कारों की जन्मदात्री व पोषणकर्ता भी है । इसीलिए गर्भावस्था के काल से ही उसमें दिव्य संस्कारों का बीज बोकर माँ अपनी संतान को अवश्य ही महानता की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकती है ।

आत्मगुंजन व ब्रह्मरामायण पुस्तिका

यह पुस्तिकाएँ वेदांत के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ श्री अष्टावक्र गीता जी का छंदमय अनुवाद हैं । माँ मदालसा ने जिस प्रकार ब्रह्मज्ञान की लोरियाँ सुनाकर अपने सभी पुत्रों को ब्रह्मज्ञानी बना दिया । उसी प्रकार इन पुस्तिकाओं के नित्य श्रवण-पठन से गर्भवती अपने गर्भस्थ शिशु के अंतर में वेदांत के संस्कारों को सुदृढ़ कर उसे मनुष्य जन्म के वास्तविक लक्ष्य ईश्वरप्राप्ति की ओर सहजता से अग्रसर करने में सहायक हो सकती है ।

आध्यात्मिक बौद्धिक व्यायाम पुस्तिका

यह दैनिक जीवन के प्रत्येक छोटे से बड़े कार्य में स्मृतिशक्ति का महत्वपूर्ण योगदान होता है । इस बुद्धिशक्तिवर्धक पुस्तिका का अभ्यास बिना किसी की सहायता के माता के द्वारा किया जाय तो वह आपकी मति को सूक्ष्म करने के साथ ही गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के सूक्ष्म तंतुओं के विकास में भी वरदानरुप साबित होगा ।

दिव्य प्रेरणा प्रकाश पुस्तिका

युवक-युवतियों को ओजस्वी-तेजस्वी बनानेवाला, स्वास्थ्यबल, मनोबल एवं प्रभाव बढ़ाने तथा स्वस्थ-सम्मानित जीवन जीने की कला सिखानेवाला सत्साहित्य

इसमें है :

  • ब्रह्मचर्य क्या है ?
  • ब्रह्मचर्य पर आधुनिक चिकित्सकों के मत
  •  वीर्य कैसे बनता है ?
  • आकर्षक व्यक्तित्व का कारण
  • संयम की महिमा
  • भारतीय मनोविज्ञान की महानता
  • जीवन को महान बनाना है तो…
  • वीर्यरक्षण की महत्ता
  • भस्मासुर क्रोध से कैसे बचें ?

आत्मगुंजन व ब्रह्मरामायण पुस्तिका

यह पुस्तिकाएँ वेदांत के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ श्री अष्टावक्र गीता जी का छंदमय अनुवाद हैं । माँ मदालसा ने जिस प्रकार ब्रह्मज्ञान की लोरियाँ सुनाकर अपने सभी पुत्रों को ब्रह्मज्ञानी बना दिया । उसी प्रकार इन पुस्तिकाओं के नित्य श्रवण-पठन से गर्भवती अपने गर्भस्थ शिशु के अंतर में वेदांत के संस्कारों को सुदृढ़ कर उसे मनुष्य जन्म के वास्तविक लक्ष्य ईश्वरप्राप्ति की ओर सहजता से अग्रसर करने में सहायक हो सकती है ।

दिव्य प्रेरणा प्रकाश पुस्तिका

युवक-युवतियों को ओजस्वी-तेजस्वी बनानेवाला, स्वास्थ्यबल, मनोबल एवं प्रभाव बढ़ाने तथा स्वस्थ-सम्मानित जीवन जीने की कला सिखानेवाला सत्साहित्य

इसमें है :

  • ब्रह्मचर्य क्या है ?
  • ब्रह्मचर्य पर आधुनिक चिकित्सकों के मत
  •  वीर्य कैसे बनता है ?
  • आकर्षक व्यक्तित्व का कारण
  • संयम की महिमा
  • भारतीय मनोविज्ञान की महानता
  • जीवन को महान बनाना है तो…
  • वीर्यरक्षण की महत्ता
  • भस्मासुर क्रोध से कैसे बचें ?

मधुर व्यवहार पुस्तिका

अच्छा बर्ताव और निश्छल प्रेम का व्यवहार करके सबमें प्रेम और भलाई का वितरण करो । यही सच्ची सहायता और सच्चा आश्वासन है । तुम जगत से जैसा व्यवहार करोगे वैसा ही तुम पाओगे भी ।

स्तोत्र पाठ पुस्तिका

यह नित्य पठनीय स्वास्थ्यवर्धक व पुण्यप्रदायक स्तोत्र पाठों का संकलन । माँ यदि गर्भावस्था में संस्कृत भाषा का उच्चारण करती है तो आनेवाली संतान की वाणी स्पष्ट एवं प्रभावशाली होती है ।

मधुर व्यवहार पुस्तिका

अच्छा बर्ताव और निश्छल प्रेम का व्यवहार करके सबमें प्रेम और भलाई का वितरण करो । यही सच्ची सहायता और सच्चा आश्वासन है । तुम जगत से जैसा व्यवहार करोगे वैसा ही तुम पाओगे भी ।

दिव्य शिशु संस्कार ( डी.वी.डी )

(DVD मेमरी कार्ड में उपलब्ध है । )

यह इस डी.वी.डी. में पूज्य बापूजी द्वारा गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारित व तेजस्वी बनाने की प्रभावी युक्तियाँ एवं सामान्य प्रसूति के सरल व घरेलू उपाय बताये गये हैं । DVD मेमरी कार्ड में उपलब्ध है ।

दिव्य शिशु संस्कार ( डी.वी.डी )

यह इस डी.वी.डी. में पूज्य बापूजी द्वारा गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारित व तेजस्वी बनाने की प्रभावी युक्तियाँ एवं सामान्य प्रसूति के सरल व घरेलू उपाय बताये गये हैं । 

(अब यह DVD मेमरी कार्ड के रूप में उपलब्ध है । )

दिव्य शिशु संस्कार ( एम.पी.थ्री )

यह एम.पी.थ्री. निम्न ऑडियो ट्रैक्स का संकलन है :-

संस्कृत स्तोत्र पाठ : गर्भावस्था में संस्कृत श्लोकों के उच्चारण से शिशु की वाणी स्पष्ट होती है ।
ध्यान : अंतर की गहनतम शांति में डुबा देनेवाला पूज्य बापूजी की प्रभावशाली वाणी का अनमोल संकलन ।
विशेष संगीत : भारतीय शास्त्रीय संगीत में रागों का एक विशेष स्थान है । उन रागों में से कुछ चयनित राग गर्भावस्था के दौरान श्रवण करने से शिशु के आनंदमय कोष का तीव्रता से विकास होता है व शिशु स्वस्थ एवं सुसंस्कारी होता है ।
कीर्तन : पूज्य बापूजी की अमृतमयी वाणी व शास्त्रीय संगीत का विलक्षण समन्वय जो आपको व आपकी संतान को भगवन्नाम के जप के प्रभाव से ओतप्रोत कर देगा ।
श्रीमद्भगवदगीता के कुछ चयनित श्लोक : श्रीमद्भगवदगीता संपूर्ण वेदों व उपनिषदों का सार है । भगवान श्रीकृष्ण के वचनों का नित्य पठन हमें दैनिक जीवन में भी समत्वयोग के अभ्यास में मददरूप होगा ।
गर्भसंवाद : माँ का गर्भस्थ शिशु से अलाौकिक वार्तालाप ।
रक्षाकवच : प्रतिदिन मंत्रजप आपके चारों ओर सुरक्षाचक्र का निर्माण करने में सहायक होगा। इस रक्षाकवच को निर्मित करने का अभ्यास आपको व आपके गर्भस्थ शिशु को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनायेगा व नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा सुनिश्चित करेगा ।

( अब यह एम.पी.थ्री. मेमोरी कार्ड के रूप में उपलब्ध है ।)

गर्भरक्षा माला

छठे मास में इस माला को धारण करना चाहिए । इस माला को धारण करने से गर्भपात नहीं होता । 9 माह पूर्ण होने पर प्रसूति पीडा होने से पूर्व इसे निकाल देना चाहिए ।

धारण विधि : गर्भरक्षा माला धारण करते समय मनकेवाला हिस्सा कमर के पीछे तथा धागे की गठान पेट के आगे रखें । 

दिव्य शिशु संस्कार ( एम.पी.थ्री )

(DVD मेमरी कार्ड में उपलब्ध है ।)

यह एम.पी.थ्री. निम्न ऑडियो ट्रैक्स का संकलन है :-

संस्कृत स्तोत्र पाठ : गर्भावस्था में संस्कृत श्लोकों के उच्चारण से शिशु की वाणी स्पष्ट होती है ।
ध्यान : अंतर की गहनतम शांति में डुबा देनेवाला पूज्य बापूजी की प्रभावशाली वाणी का अनमोल संकलन ।
विशेष संगीत : भारतीय शास्त्रीय संगीत में रागों का एक विशेष स्थान है । उन रागों में से कुछ चयनित राग गर्भावस्था के दौरान श्रवण करने से शिशु के आनंदमय कोष का तीव्रता से विकास होता है व शिशु स्वस्थ एवं सुसंस्कारी होता है ।
कीर्तन : पूज्य बापूजी की अमृतमयी वाणी व शास्त्रीय संगीत का विलक्षण समन्वय जो आपको व आपकी संतान को भगवन्नाम के जप के प्रभाव से ओतप्रोत कर देगा ।
श्रीमद्भगवदगीता के कुछ चयनित श्लोक : श्रीमद्भगवदगीता संपूर्ण वेदों व उपनिषदों का सार है । भगवान श्रीकृष्ण के वचनों का नित्य पठन हमें दैनिक जीवन में भी समत्वयोग के अभ्यास में मददरूप होगा ।
गर्भसंवाद : माँ का गर्भस्थ शिशु से अलाौकिक वार्तालाप ।
रक्षाकवच : प्रतिदिन मंत्रजप आपके चारों ओर सुरक्षाचक्र का निर्माण करने में सहायक होगा। इस रक्षाकवच को निर्मित करने का अभ्यास आपको व आपके गर्भस्थ शिशु को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनायेगा व नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा सुनिश्चित करेगा ।

स्तोत्र पाठ पुस्तिका

यह नित्य पठनीय स्वास्थ्यवर्धक व पुण्यप्रदायक स्तोत्र पाठों का संकलन । माँ यदि गर्भावस्था में संस्कृत भाषा का उच्चारण करती है तो आनेवाली संतान की वाणी स्पष्ट एवं प्रभावशाली होती है ।

आध्यात्मिक बौद्धिक व्यायाम पुस्तिका

यह दैनिक जीवन के प्रत्येक छोटे से बड़े कार्य में स्मृतिशक्ति का महत्वपूर्ण योगदान होता है । इस बुद्धिशक्तिवर्धक पुस्तिका का अभ्यास बिना किसी की सहायता के माता के द्वारा किया जाय तो वह आपकी मति को सूक्ष्म करने के साथ ही गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के सूक्ष्म तंतुओं के विकास में भी वरदानरुप साबित होगा ।

गर्भरक्षा माला

छठे मास में इस माला को धारण करना चाहिए । इस माला को धारण करने से गर्भपात नहीं होता । 9 माह पूर्ण होने पर प्रसूति पीडा होने से पूर्व इसे निकाल देना चाहिए ।

धारण विधि : गर्भरक्षा माला धारण करते समय मनके वाला हिस्सा कमर के पीछे तथा धागे की गठान पेट के आगे रखें । 

यह दिव्य शिशु गर्भ संस्कार किट प्राप्त करने के लिए सम्पर्क करें : 9157389706

Hits: 2229

Open chat
1
गर्भ संस्कार केन्द्र में सम्पर्क करें -
गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।