Deprecated: Required parameter $submit_result follows optional parameter $error in /home4/garbhizu/public_html/wp-content/plugins/youtube-showcase/includes/emd-form-builder-lite/emd-form-frontend.php on line 993

Deprecated: Required parameter $myfields follows optional parameter $args in /home4/garbhizu/public_html/wp-content/plugins/youtube-showcase/includes/emd-form-builder-lite/emd-form-functions.php on line 663

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home4/garbhizu/public_html/wp-content/plugins/youtube-showcase/includes/emd-form-builder-lite/emd-form-frontend.php:993) in /home4/garbhizu/public_html/wp-content/plugins/youtube-showcase/assets/ext/wp-session/includes/class-wp-session.php on line 142
Service of Cow in Pregnancy - Divya Shishu Sanskar By Mahila Utthan Mandal
  • मानव और गाय का ऐसा संबंध है जैसे शरीर और प्राणों का । यह एक आत्मीय संबंध है । गाय मनुष्यमात्र की माता है ।

  • विश्व में गाय है तो सात्त्विक प्राण, सात्त्विक मति और दीर्घ आयु भी सुलभ है । गाय मानवीय प्रकृति से जितनी मिलजुल जाती है, उतना और कोई पशु नहीं मिल पाता ।

  • गाय जितनी प्रसन्न होती है, उतने ही उसके दूध में विटामिन अधिक मात्रा में उत्पन्न होते हैं और गाय जितनी दुःखी होती है, उतना ही दूध कम गुणोंवाला होता है ।

  • शास्त्र कहते हैं कि गाय में तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास है ।

  • अतः गर्भवती नियमित गाय को प्रणाम कर उनकी पूजा करे । 

  • गर्भिणी गाय की 5-7 परिक्रमा करे क्योंकि विज्ञान के अनुसार गाय की परिक्रमा करनेवाले की ओरा में भी बढ़ोतरी होती है ।

  • गाय को सहलाने से वो प्रसन्न होती है और उसकी प्रसन्नता के तरंग मनुष्य को निरोगता प्रदान करते हैं ।

  • गर्भिणी को रोज देशी गाय का दूध पीना चाहिए क्योंकि देशी गाय ही एक ऐसा जीव है जिसके शरीर में सूर्यकेतु नाड़ी है जिसके कारण उसके दूध में सुवर्णक्षार पाया जाता है जो कि गर्भस्थ शिशु के लिए बहुत ही लाभदायक है ।

पूज्य बापूजी कहते हैं- “संतान को बढ़िया, तेजस्वी बनाना है तो गर्भिणी अलग-अलग रंग की 7 गायों की प्रदक्षिणा करके गाय को जरा सहला दे, आटे-गुड़ आदि का लड्डू खिला दे या केला खिला दे, बच्चा श्रीकृष्ण के कुछ-न-कुछ दिव्य गुण ले के पैदा होगा । कइयों को ऐसे बच्चे हुए हैं ।”

विशेष लाभ हेतु

सप्तरंगों की गायों की 108 परिक्रमा कर अधिक लाभ उठा सकते हैं । गर्भवती महिला द्वारा सामान्य गति से प्रदक्षिणा करने पर शरीर पर कोई तनाव न पड़ते हुए श्वास द्वारा रक्त एवं हृदय का शुद्धीकरण होता है । इससे गर्भस्थ शिशु को भी लाभ होता है । गर्भिणी सद्गुरुप्रदत्त गुरुमंत्र या भगवन्नाम का जप करते हुए परिक्रमा करे, यह अधिक लाभदायी होगा ।

यदि अनुकूल हो तो गर्भाधान से 9वें महीने तक 108 परिक्रमा चालू रखे । इससे गर्भिणी का प्रतिदिन लगभग 2 किलोमीटर चलना होगा, जिससे प्रसूति नैसर्गिक होगी, सिजेरियन की सम्भावना बहुत कम हो जायेगी । 7वें महीने से 9वें महीने तक 108 परिक्रमा रुक-रुक कर पूरी करे । परिक्रमा करते समय गोबर का तिलक करे । गोमय (गोबर का रस) व गोमूत्र के मिश्रण में पाँव भिगोकर परिक्रमा करने से शरीर को अधिक ऊर्जा मिलती है ।

सावधानीः परिक्रमा अपने और गाय के बीच सुरक्षित अंतर रखते हुए करें । यदि पेटदर्द आदि तकलीफ हो तो परिक्रमा आश्रम के वैद्य की सलाह से करें ।

विष्णुधर्मोत्तर पुराण के अनुसार तिल, जौ व गुड़ के बने लड्डू 9 गायों को खिलाने व उनकी परिक्रमा करने से उत्तम संतान एवं मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है । पति-पत्नी में आपसी मनमुटाव या क्लेश रहता हो तो दोनों गठजोड़ करके गाय की परिक्रमा करें तथा रोटी में तिल का तेल चुपड़कर गुड़ के साथ उन नौ गायों को खिलायें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी ।

महाभारत (अनुशासन पर्वः 83.50) में आता है कि ‘गोभक्त मनुष्य जिस-जिस वस्तु की इच्छा करता है, वे सब उसे प्राप्त होती हैं। स्त्रियों में जो भी गौ की भक्त हैं, वे मनोवांछित कामनाएँ प्राप्त करती हैं ।’

  • मानव और गाय का ऐसा संबंध है जैसे शरीर और प्राणों का । यह एक आत्मीय संबंध है । गाय मनुष्यमात्र की माता है ।

  • विश्व में गाय है तो सात्त्विक प्राण, सात्त्विक मति और दीर्घ आयु भी सुलभ है । गाय मानवीय प्रकृति से जितनी मिलजुल जाती है, उतना और कोई पशु नहीं मिल पाता ।

  • गाय जितनी प्रसन्न होती है, उतने ही उसके दूध में विटामिन अधिक मात्रा में उत्पन्न होते हैं और गाय जितनी दुःखी होती है, उतना ही दूध कम गुणोंवाला होता है ।

  • शास्त्र कहते हैं कि गाय में तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास है ।

  • अतः गर्भवती नियमित गाय को प्रणाम कर उनकी पूजा करे । गर्भिणी गाय की 5-7 परिक्रमा करे क्योंकि गाय की परिक्रमा करनेवाले की ओरा में भी बढ़ोतरी होती है । गाय को सहलाने से वो प्रसन्न होती है और उसकी प्रसन्नता के तरंग मनुष्य को निरोगता प्रदान करते हैं ।

  • गर्भिणी को रोज देशी गाय का दूध पीना चाहिए क्योंकि देशी गाय ही एक ऐसा जीव है जिसके शरीर में सूर्यकेतु नाड़ी है जिसके कारण उसके दूध में सुवर्णक्षार पाया जाता है जो कि गर्भस्थ शिशु के लिए बहुत ही लाभदायक है ।                                     

Hits: 264

Open chat
1
गर्भ संस्कार केन्द्र में सम्पर्क करें -
गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।