पौष्टिक शिशु आहार

  • आयुर्वेद व आधुनिक विज्ञान–दोनों के अनुसार नवजात शिशु के लिए माँ का दूध ही सबसे उत्तम व सम्पूर्ण आहार है |
  • स्तनपान से शिशु को पौष्टिक आहार के साथ साथ माँ का प्रेम वात्सल्य भी प्राप्त होता है, जो उसके संतुलित विकास के लिए अति आवश्यक होता है |
  • नवजात शिशु की वृद्धि के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाईड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस तथा विटामिन्स माँ के दूध में उचित मात्रा में होते हैं |
  • माँ के दूध में केसीन नामक प्रोटीन तथा पोटेशियम का अंश भी पाया जाता है जो गाय के दूध में नहीं पाया जाता |
  • माँ का दूध बच्चे के लिए वास्तव में कवच–कुंडल ही है |
  • परन्तु वर्तमान में यह मान्यता बन गयी है की स्तनपान करने से शारीरिक सुन्दरता कम हो जाती है | इस डर से कुछ माताएं बच्चे को स्तनपान नहीं करातीं, बोतल से दूध पिलाती हैं |
  • परिणामस्वरूप बच्चे का पूर्ण विकास नहीं होता और माताओं को स्तन कैंसर जैसी जानलेवा बिमारियों का शिकार होने की सम्भावना बढ़ जाती है |
  • विभिन्न प्रयोगों के बाद अब वैज्ञानिक भी तटस्थता से स्वीकार करने लगे हैं कि ‘स्तनपान कराने से माँ व बच्चे दोनों को लाभ होता है |’
  • प्रथम बार स्तनपान कराते समय माँ पूर्व दिशा की और मुँह करके बैठे | स्तन पानी से धो के थोड़ा-सा दूध निकलने देवे | फिर बच्चे को पहले दाहिने स्तन का पान कराये ।

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गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।