वर्षा ऋतु में क्या खायें क्या न खायें ?

पथ्य आहार

• इस ऋतु में वात की वृद्धि को शांत करने के लिए मधुर, अम्ल व लवण रसयुक्त, हलके व शीघ्र पचनेवाले तथा वात का शमन करनेवाले पदार्थों एवं व्यंजनों से युक्त आहार लेना चाहिए । इस ऋतु में जठराग्नि प्रदीप्त करनेवाले अदरक, लहसुन, नींबू, पुदीना, हरा धनिया, सोंठ, अजवायन, मेथी, जीरा, हींग, काली मिर्च, पीपरामूल का प्रयोग करना चाहिए । सब्जियों में मेथी, सहजन, परवल, लौकी, गिल्की, पेठा, तोरई, बथुआ, पालक एवं सूरन हितकर हैं । गरम दूध, लहसुन, अदरक, सोंठ, अजवायन, साठी के चावल, पुराना अनाज, गेहूँ, चावल, जौ, मूँग, दलिया, शहद, गाय का घी, तिल एवं सरसों का तेल, अनार, द्राक्ष का सेवन लाभदायी है । ताजी छाछ में काली मिर्च, सेंधा नमक, जीरा, धनिया, पुदीना डालकर दोपहर भोजन के बाद ले सकते हैं । 
• शाम का भोजन 5 से 7 बजे के बीच कर लें । इससे भोजन का पाचन शीघ्र होता है । रात को देर से भोजन न करें ।
 

अपथ्य आहार

• पूरी, पकोड़े तथा अन्य तले हुए, तीखे एवं गरम तासीरवाले खाद्य पदार्थों का सेवन अत्यंत कम कर दें ।
• काजू, बादाम, मावा, मिठाइयाँ भूलकर भी न खायें, इनसे बुखार और दूसरी बीमारियाँ होती हैं ।
• गरिष्ठ भोजन, उड़द, अरहर, चौला आदि दालें, नदी, तालाब एवं कुएँ का बिना उबाला हुआ पानी, जलेबी, बिस्कुट, डबलरोटी आदि मैदे की चीजें, बेकरी की चीजें, ठंडे पेय, आइसक्रीम, केला, मट्ठा, अंकुरित अनाज, पत्तियों वाली सब्जियाँ नहीं खाना चाहिए तथा देवशयनी एकादशी के बाद आम नहीं खाना चाहिए । वर्षा ऋतु में दही पूर्णतः निषिद्ध है । श्रावण मास में दूध वर्जित हैं, शास्त्र विरुद्ध है । (गर्भवती बहनें मक्खन का सेवन करें)

सावधानी - गर्भवती बहनें उपरोक्त पथ्य-अपथ्य में सब्जियों आदि का प्रयोग मासानुसार, स्वास्थ्य अनुसार और वैद्यकीय सलाह से करें ।

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