यदि आप भी रिफाइंड तेल का प्रयोग करते हैं तो...

गर्भस्थ शिशु के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए सगर्भा का भोजन पौष्टिक चाहिए । भोजन की पौष्टिकता जितनी पौष्टिक खाद्य पदार्थों पर निर्भर करती है उतनी ही भोजन बनाने में उपयोग किये जानेवाले तेल पर भी निर्भर करती है । आजकल ज्यादातर घरों में भोजन बनाने में रिफाइंड तेल का प्रयोग होता है । पर क्या आपने कभी विचार किया है कि आप जिस तेल में भोजन बना रही हैं वो आपके और आपके गर्भस्थ शिशु के लिए सुरक्षित है भी या नहीं ?

रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया में न केवल तेल के पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं बल्कि इसमें कई प्रकार के जहरीले व रोगोत्पादक रसायनों का निर्माण भी होता है । साथ ही सोयाबीन, सूरजमुखी, मूँगफली आदि के तेलों को रिफाइन करने के दौरान फॉस्फोरिक एसिड, ऑक्जेलिक एसिड, सिलिका, साइट्रिक एसिड, ब्लीचिंग अर्थ, एक्टिवेटेड कार्बन, कॉस्टिक सोडा जैसे रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है ।

रिफाइंड तेलों के कारण गर्भिणी को कब्ज, एसिडिटी की समस्या हो सकती है । रिफाइंड तेल का उपयोग हृदयरोग (heart disease), यकृत (liver) व गुर्दों (kidneys) की खराबी, कैंसर, मधुमेह (diabetes), अस्थि-भंगुरता (osteoporosis), गठिया, अवसाद (depression), सूजन जैसे कई गम्भीर रोगों को निमंत्रण देता है । इनका लगातार प्रयोग न केवल सगर्भा को बल्कि गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है । सामान्य प्रसूति में भी अवरोध उत्पन्न होने की सम्भावना होती है ।

अतः तिल, नारियल, सूरजमुखी, सरसों, मूँगफली के घानीवाले (बिना रिफाइन किये) तेल का उपयोग करना हितकारी एवं स्वास्थ्यकर है । व्यक्ति जिस स्थान पर जन्म लेता है तथा निवास करता है उस स्थान पर प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होनेवाले पदार्थ उसके स्वास्थ्य के लिए अनुकूल होते हैं । दक्षिण भारत में नारियल का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है । अतः वहाँ के निवासियों के लिए नारियल का तेल अनुकूल है । ऐसे ही उत्तर भारत में सरसों की एवं मध्य भारत में मूँगफली की पैदावार विशेष रूप से होती है । अतः उन-उन भागों में तत्संबंधी तेल उपयुक्त हैं । सोयाबीन मूलरूप से हमारे देश की उपज नहीं है । इसी कारण सोयाबीन पौष्टिकता से भरपूर होने पर भी हमारे देशवासियों के स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है । आजकल हमारे देश में जैतून के तेल (olive oil) का उपयोग बढ़ता जा रहा है । मेडिटेरेनियन सागर के किनारों पर बसे हुए देशों के जैतून-वृक्ष के फलों से बननेवाला यह तेल औषधीय गुणों से युक्त होने पर भी जो लाभ भारतीयों को नारियल, मूँगफली, सरसों, तिल आदि के तेल से मिल सकता है वह जैतून या सोयाबीन के तेल से नहीं मिल सकता ।

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