अनार का शरबत
- मीठा अनार तीनों दोषों का शमन करने वाला, तृप्तिकारक, वीर्यवर्धक, हलका, कसैले रसवाला, बुद्धि तथा बलदायक एवं प्यास, जलन, ज्वर, हृदयरोग, कण्ठरोग, मुख की दुर्गन्ध तथा कमजोरी को दूर करने वाला है ।
- खटमिट्ठा अनार अग्निवर्धक, रुचिकारक, थोड़ा-सा पित्तकारक व हलका होता है । पेट के कीड़ों का नाश करने व हृदय को बल देने के लिए अनार बहुत उपयोगी है । इसका रस पित्तशामक है। इससे उलटी बंद होती है ।
- अनार पित्तप्रकोप, अरुचि, अतिसार, पेचिश, खाँसी, नेत्रदाह, छाती का दाह व मन की व्याकुलता दूर करता है ।
- अनार खाने से शरीर में एक विशेष प्रकार की चेतना सी आती है । इसका रस स्वरयंत्र, फेफड़ों, हृदय, यकृत, आमाशय तथा आँतों के रोगों से लाभप्रद है तथा शरीर में शक्ति, स्फूर्ति तथा स्निग्धता लाता है ।
निर्माण विधि – अच्छी तरह से पके हुए 20 अनार के दाने निकालकर उनका रस निकाल लें । उस रस में अदरक डालकर रस गाढ़ा हो जाय तब तक उबालें । उसके बाद उसमें केसर एवं इलायची का चूर्ण मिलाकर शीशी में भर लें ।
उपयोग – यह शरबत रूचिकर एवं पित्तशामक होने की वजह से दवा के रूप में भी लिया जा सकता है एवं गर्मी में शरबत के रूप में पीने से गर्मी से राहत मिलती है ।
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