प्रसुतिकाल
पहला उपाय – सुखपूर्वक प्रसवकारक मंत्र –
ऐं ह्रीं भगवति भगमालिनि चल चल भ्रामय भ्रामय पुष्पं विकासय विकासय स्वाहा ।
इस मंत्र द्वारा अभिमंत्रित दूध गर्भिणी स्त्री को पिलाने से सुखपूर्वक प्रसव होता है ।
दूसरा उपाय – गर्भिणी स्त्री प्रसव के समय स्वयं ‘जम्भला-जम्भला’ जप करे ।
तीसरा उपाय – देशी गाय के गोबर का 12 से 15 मि.ली. रस लेकर उसमें निहारते हुए ‘ऊँ नमो नारायणाय’ मंत्र का 21 बार जप और ‘गुरुगीता’ के कुछ श्लोकों का पाठ गर्भिणी स्वयं करे या कोई अन्य करे और बिना शल्यक्रिया सुखपूर्वक प्रसव होगा ।
चौथा उपाय – अभी बजा हुआ घंटा आप पानी से धो डालिये और उस पानी को उस स्त्री को पिला दीजिये जिस स्त्री को अत्यन्त प्रसव वेदना हो रही हो और प्रसव न होता हो। फिर देखिये, एक घंटे के अंदर ही सारी आपत्तियों को हटाकर सफलता पूर्वक प्रसव हो जाता है।
प्रसूति के समय अमंगल की आशंका हो तो सर्वकल्याण के लिए निम्न मंत्र का जप करें :
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणि नमोSस्तु ते ।।
– (श्री दुर्गासप्तशती)
विलंबित प्रसव मूढ़गर्भः थोड़ा तिल का तेल मिलाकर पुनर्नवा के मूल का रस योनि में लगायें। इससे रुका हुआ बच्चा तुरंत बाहर आ जाता है।