भारतीय संस्कृति के आधारभूत तथ्य

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम महान संस्कृति है । एक ऐसी संस्कृति जिसे मिटाने के असफल प्रयास सदियों से होते आ रहे हैं, लेकिन आज भी यह अपने अक्षुण्ण गौरव और अमूर्त समृद्धि की धारा के साथ अपने स्वरूप में ज्यों-की-त्यों विद्यमान है क्योंकि भारतीय संस्कृति का धर्म, दर्शन और आदर्शों के साथ गहरा संबंध है । वेद, उपनिषद, भगवदगीता जैसे धार्मिक ग्रंथ भारतीय संस्कृति की आधारशिला हैं । भारतीय संस्कृति की हर एक छोटी-से-छोटी बात में गूढ़-से-गूढ़ रहस्य छिपा है जिसे समझने के लिए शुद्ध, सूक्ष्म और संस्कारित बुद्धि का होना अनिवार्य है । इसलिए भारत के विशाल-बुद्धि कर्णधारों के ज्ञानवर्धन के लिए हम लाये हैं ‘भारतीय संस्कृति के ऐसे कुछ आधारभूत तथ्य’ जिनका संबंध गणित के अंकों से है और जिनके पीछे छिपे अद्भुत रहस्यों को जानकर आप चकित रह जायेंगे :

एक : परमात्मा ।

दो : परमात्मा और प्रकृति ।

दो सूत्र : एकाग्रता और अनासक्ति ।

दो पक्ष : कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष ।

तीन गुण : सत्व, रज, तम ।

त्रिदेव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश ।

त्रिविध नरक द्वार : काम, क्रोध, लोभ ।

त्रिविध ज्ञान द्वार : श्रद्धा, तत्परता, इन्द्रिय संयम ।

चार वेद : ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद ।

चार आश्रम : ब्रम्हचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास ।

चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ।

चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र ।

चार युग : सत्य, त्रेता, द्वापर, कलि ।

चार अवस्थाएँ : जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय ।

चार महावाक्य : अहं ब्रह्मास्मि, तत्वमसि, प्रज्ञानं ब्रह्म और अयमात्मा ब्रह ।

साधन चतुष्टय : नित्य-अनित्य वस्तु विवेक, वैराग्य, षट्सम्पति (नीचे देखें), मुमुक्षुत्व ।

पंच महाभूत : पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश ।

पंच कोष : अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, आनंदमय ।

पंच प्राण : प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान ।

पंच क्लेश : अविद्या, अस्मिता (अभिमान), राग, द्वेष और अभिनिवेश (मृत्युभय)।

षड-दर्शन : सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व मीमांसा, उत्तर मीमांसा (वेदान्त) ।

षड् ऋतुएँ : बसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमन्त ।

षट्सम्पत्ति : शम, दम, तितिक्षा, उपरति, श्रद्धा, समाधान ।

सात वार : सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, रवि ।

सप्तधान्य : गेहूं, जौ, चावल, चना, मूँग, उड़द और तिल ।

सप्तर्षि : गौतम, भरद्वाज, यमदग्नि, अत्रि, वसिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र ।

सप्त चक्र : मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धाख्य, आज्ञा और सहरनार ।

सप्त ज्ञान भूमिका : शुभेच्छा, विचारणा, तनुमानसा, सत्वापति, असंराक्ति, पदार्थाभाविनी, तुर्यगा ।

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आशा है कि आप अपनी आनेवाली पीढ़ी को भारतीय संस्कृति के इन आधारभूत तथ्यों से अवश्य अवगत कराएँगे और उन्हें अपनी संस्कृति, अपने आदर्श, अपने संस्कार और अपनी धरोहर विरासत के रूप में देकर अपनी वैदिक सनातन संस्कृति की एकता, अद्वितीयता और अखंडता की रक्षा करेंगे क्योंकि संस्कृति ही आपकी संतान के लिए आपकी ओर से सब से बड़ी विरासत है ।

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