‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वागवादिनी सरस्वती मम जिव्हाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा।’
यह मंत्र २३ जुलाई २०२१ को दोपहर २:२६ से रात्रि ११:४५ के बीच १०८ बार जप लें तथा रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चन्दन से ह्रीं मंत्र लिख दें।
जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जाएगा उसे विद्या लाभ व अद्भुत विद्वता की प्राप्ति होगी।
गर्भस्थ शिशु की बुद्धिशक्ति बढ़ाने हेतु गर्भवती माताएं भी यह प्रयोग कर सकती हैं। नवजात शिशु एवं कम वय के बच्चों की माताएं स्वयं जप करके बच्चे की जिव्हा पर लाल चन्दन से ह्रीं मंत्र लिख दें।
( ध्यान दें – यह योग केवल गुजरात व महाराष्ट्र में है।)
गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।