...क्या ये आवश्यक है ?
संतान अपने माता-पिता के लिए मात्र खिलौना नहीं है बल्कि वह विश्व का भविष्य है। अतः माता-पिता की ज़िम्मेदारी होती है कि जो भी बच्चा दुनिया में आए, वह शारीरिक व मानसिक तौर पर संपूर्ण स्वस्थ हो ताकि वह पूरी तरह से खुलकर-खिलकर जीवन का आनंद ले सके तथा एक स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सके।
प्रश्न : क्या आनेवाले बच्चे की बेहतरी के लिए पहले से कुछ (प्लैनिंग) तैयारी करना आवश्यक है ?
जवाब : हाँ बिलकुल । आनेवाली संतान तो पूरी तैयारी के साथ ही आनी चाहिए, आकस्मिक नहीं। संतान कोई सामान नहीं है, जो यूँ ही घर ले आए और रख दिया। वह तो ईश्वर का स्वरूप है, दिव्य चेतना है। उसका आवाहन उतने ही पवित्र और शुद्ध भाव से करना चाहिए, जैसे पूजा में ईश्वर का आवाहन करते हैं। उसके आगमन की वैसी ही तैयारी करनी चाहिए, जैसी किसी विशिष्ट मेहमान के घर आने पर की जाती है।
कुदरत का नियम है, ‘जिस चीज़ पर ध्यान दिया जाता है, वह जीवन में आती है। जिन गुणों पर फोकस किया जाता है, वे गुण जीवन में आ जाते हैं।’ इसलिए ईश्वर से प्रार्थना हो कि ‘हे ईश्वर हमारी जो भी संतान हो, वह आपके दिव्य गुणों से भरपूर हो। उसमें प्रेम, साहस, करुणा, बुद्धिमता, स्वास्थ्य, सत्य, शांति, सरलता, निच्छलता जैसे गुण हों। उसकी छवि आपके समान ही मनोहारी हो। उसकी हँसी कानों में अमृत घोले। उसके आने से हमारा घर-संसार खुशियों से भर जाए।’
प्रश्न : आनेवाली संतान के प्रति माता-पिता की बहुत सी अपेक्षाएँ होती हैं, वे कैसे पूरी हो सकती हैं ?
जवाब : सभी माता-पिता चाहते हैं कि उसकी संतान ईश्वरीय गुणों से भरपूर हो, वह ईश्वर का ही प्रतिरूप हो। मगर क्या कभी आपने यह सोचा है कि आपकी भावी संतान को कैसे माता-पिता चाहिए ? वह सूक्ष्म (शुद्ध) जीव, जो आपके घर संतान बनकर आनेवाला है, वह क्या तैयारियाँ कर रहा होगा ?
वह भावी संतान जहाँ भी होगी, उसे भी अपने लिए आदर्श माता-पिता की अपेक्षा होगी, वह भी प्रार्थना करती होगी कि ‘हे भगवान मुझे ऐसे ही माता-पिता मिले जो तन-मन से स्वस्थ हों। जो प्रेम, आनंद, करुणा, शांति, समझदारी, वात्सल्य की मूर्ति हों। जिनके घर में हमेशा प्रेम, आनंद, शांति, सद्भावना बरसती हो, जो कभी न लड़ें, हमेशा हँसते-मुस्कुराते रहें।’
यदि ऐसा है तो सोचकर देखें क्या आप ऐसे माता-पिता बनने की तैयारी में हैं ? क्या आप (पति-पत्नी) के बीच किसी न किसी बात पर कहा-सुनी चलती रहती है ? विचारों में मतभेद बना रहता है ? यदि ‘हाँ’ तो कहीं उस बच्चे ने आपके यहाँ आने से इनकार कर दिया तो ?…….जरा ठहरिये……….जरा सोचिये…..
ये प्रश्न डराने के लिए नहीं बल्कि सजगता जगाने के लिए हैं । भावी संतान के लिए आपकी तैयारी आधी-अधूरी न रह जाए ।
क्योंकि आपको कैसी संतान चाहिए ये आपने सोच लिया है तो आपकी संतान को कैसे अभिभावक चाहिए इसकी भी तैयारी होनी चाहिए।
आदर्श संतान की कामना हर कोई करता है । उसे सारी सांसारिक सुख-सुविधाएँ देना चाहता है मगर इतना ही काफी नहीं है… गर्भधारण से पूर्व स्वयं पर काम कर, आनेवाले शिश के लिए स्वयं को उसके लायक बनाना होगा।
दरअसल इस दुनिया में ‘गर्भ संस्कार’ पर बहुत बातें होती हैं कि संतान गर्भ में आने के बाद उसे कैसे संस्कार दिए जाएँ ताकि वह एक अच्छा इंसान बने। मगर ‘गर्भाधान से पूर्व संस्कार’ पर बहुत कम लोग बात करते हैं कि उन्हें गर्भ धारण करने से पूर्व कौन से संस्कार अपनाने चाहिए क्योंकि उन्हें अपनाने के लिए खुद पर मेहनत करनी होगी, अपनी सोच, अपनी आदतों को बदलना होगा । आपको स्वयं को एक आदर्श व्यक्तित्व का धनी बनना होगा।
क्या आप ऐसे माता-पिता बनने की तैयारी कर रहे हैं ? (कमेंट बॉक्स में जवाब अवश्य दें)
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