प्राणायाम
वायु की अंतरंग शक्ति का नाम है – प्राण । श्वास द्वारा हम इस शक्ति को निरंतर प्राप्त करते हैं । श्वास स्थूल हैं तो प्राण सूक्ष्म व सर्वत्र व्याप्त हैं । प्राण को ही प्राणशक्ति या जीवनीशक्ति भी कहते हैं । इस शक्ति का आयाम अर्थात् विस्तार करने की क्रिया का नाम है – प्राणायाम । क्योंकि श्वसनक्रिया, हृदय की गति, आहार का सप्तधातु आदि में परिवर्तन, मांसपेशियों का आकुंचन-प्रसरण, रक्तसंचरण, अंतःस्रावी ग्रंथियों का स्रावोत्पादन, मल-निष्कासन आदि सभी प्रकार की शारीरिक प्रक्रियाओं का नियमन इस प्राणशक्ति के द्वारा ही होता है । केवल शारीरिक ही नहीं, अपितु मानसिक संतुलन बनाये रखने में भी प्राणायाम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । अतः गर्भवती को नियमित रूप से हल्के प्राणायाम करने चाहिए ।
दीर्घ श्वसन –
अच्छी नींद के बाद सुबह की ताजी हवा में गहरे श्वास लेने का अभ्यास दिमागी क्षमता को बढ़ाने का सबसे बढ़िया तरीका है। पूज्य बापू जी द्वारा बतायी गयी दिनचर्या में प्रातः 3 से 5 का समय इस हेतु सर्वोत्तम बताया गया है।
प्रायः अधिकांश व्यक्ति गहरे श्वास लेने के अभ्यस्त नहीं होते, जिससे फेफड़ों का लगभग एक चौथाई भाग ही कार्य करता है, तीन चौथाई भाग निष्क्रिय पड़ा रहता है । इसका विपरीत परिणाम रक्तशुद्धि-प्रक्रिया पर पड़ता है । रक्तशुद्धि सम्यक् रूप से न होने से शरीर के अन्य अंगों की क्रियाशीलता घट जाती है । गहरे श्वास लेने से फेफड़ों की सभी कोशिकाएँ प्राण ऊर्जा से भर जाती है । इतना ही नहीं, नाड़ियों के माध्यम से शरीर के एक-एक अंग में इस प्राणाक्ति का संचार होने लगता है ।
टंक विद्या
सुखासन में बैठकर हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें । दोनों नथुनों से खूब गहरा श्वास लें । मुँह को बंद रखके कंठ से ॐ की ध्वनि निकालते हुए सिर को ऊपर-नीचे इस प्रकार करें जिससे कंठ कूप पर भी दबाव पड़ें । श्वास पूर्ण खाली होने तक यह क्रिया करते रहें । इसे एक बार फिर से दोहराएँ । यह लगता तो साधारण प्रयोग है परंतु शरीर के सात केन्द्रों में से पंचम केन्द्र ‘विशुद्धाख्या’ को सक्रिय रखता है । इससे थाइरॉइड ग्रंथि के कार्यों का नियमन होता है तथा अन्य कई आधिभौतिक, आध्यात्मिक लाभ होते है ।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम –
पद्मासन या सुखासन में बैठ जायें । दोनों नथुनों से पूरा श्वास बाहर निकाल दें । दाहिने नथुने को बंद करके बायें नथुने से धीरे-धीरे परंतु गहरा श्वास लें । कुछ सेकेंड्स तक यथाशक्ति रोककर रखें । अब धीरे-धीरे श्वास को छोड़ें व कुछ सेकंड बाहर रोकें । मन में भगवन्नाम-जप करके किया हुआ प्राणायाम सगर्भा प्राणायाम कहलाता है ।
प्राणायाम करने से पापनाशिनी शक्ति, रोगप्रतिकारक शक्ति, अनुमान शक्ति, क्षमा शक्ति व शौर्य शक्ति विकसित होती है तथा स्मरण शक्ति आदि बढ़ती है । जो प्राणायाम परायण हैं, ऐसे निष्पाप साधक के हृदय में आत्मप्रकाश होता है । श्वास लेकर रोकें एवं भगवन्नाम-जप करें तो सौ गुना प्रभाव होगा । भगवन्नाम सहितवाले प्राणायाम थोड़े ही दिनों में आपको प्रसन्नगचित्त, मधुमय, मधुर स्वभाव और सद्भाव संपन्नत कर सकते हैं ।
सुखद प्राणायाम –
लाभ – कैसी भी थकान हो, इस प्राणायाम से भाग जायेगी और सुख व चैन का अनुभव होगा ।
खिन्नता चली जायेगी, स्वभाव में सुख आयेगा ।
सामान्य प्राणायाम से जो थकान पैदा होती है, वह दूर करने के लिए भी इसे किया जाता है ।
विधि – गहरा, लम्बा श्वास लें । फिर मुँह से वह श्वास रुक-रुक के ऐसे छोड़ें जैसे होठों से व्हिसल (सीटी) बजाते हैं । ऐसे 3 से अधिक बार में रुक-रुक के व बलपूर्वक श्वास छोड़ें । यह हुआ एक प्राणायाम । ऐसे 5-7 प्राणायाम करें ।
सावधानी – सगर्भावस्था में त्रिबंधयुक्त प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम नहीं करने चाहिए ।
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