निर्माण विधि – गुलाब जल अथवा नलिकायंत्र (वाष्पस्वेदन यंत्र) द्वारा गुलाब की कलियों के निकाले गये अर्क में मिश्री डालकर उसका पाक तैयार करें । जब जरूरत पड़े तब उसमें ठंडा जल मिलाकर शरबत बना लें ।
उपयोग – यह शरबत सुवासित होने के साथ शरीर की गर्मी को नष्ट करता है । अतः ग्रीष्म ऋतु में सेवन करने योग्य है ।
गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।