सत्संग-श्रवण

पूज्य बापूजी की अमृतवाणी का पान नित्य करें । सुने हुए सत्संग का मनन करें । साथ ही गर्भ के साथ संवाद कर उसमें भक्ति, ज्ञान का अमृत सिंचन करें । “मेरे गर्भ में दिव्यात्मा का वास हुआ है, मेरे गर्भ में स्वयं भगवान स्थित है, मेरे गर्भ से उत्पन्न होनेवाला यह शिशु जीवनमुक्त आत्मज्ञानी बनेगा”- मन-ही-मन इस प्रकार का चिंतन करें | यह सर्वश्रेष्ठ गर्भ संस्कार है |

बालक की प्रथम गुरु माता के गुणों का प्रभाव तो गर्भावस्था से ही बच्चों में अनायास पड़ने लगता है और जन्म के बाद परिवाररूपी पाठशाला में बच्चा अच्छे और बुरे में अंतर समझने का प्रयास करता है । आत्मज्ञानी महापुरुषों का सत्संग ही संस्कारों की जन्मस्थली है । अतः प्रत्येक माता-पिता को महापुरुषों के सत्संगों, उनके सत्साहित्यों शास्त्रों एवं उनके निर्दिष्ट उपायों द्वारा स्वयं में संस्कारों का आधान करना चाहिए । और उन संस्कारों का सिंचन अपने बच्चों में गर्भावस्था से ही प्रारम्भ कर देना चाहिए ।

सत्संग-श्रवण

आत्मज्ञानी महापुरुषों का सत्संग ही संस्कारों की जन्मस्थली है । अतः प्रत्येक माता-पिता को महापुरुषों के सत्संगों, उनके सत्साहित्यों शास्त्रों एवं उनके निर्दिष्ट उपायों द्वारा स्वयं में संस्कारों का आधान करना चाहिए । और उन संस्कारों का सिंचन अपने बच्चों में गर्भावस्था से ही प्रारम्भ कर देना चाहिए । गर्भस्थ शिशु में भी सत्संग के संस्कार दृढ़ हो सकें, इसके लिए सुने हुए सत्संग का लेखन-मनन-चिंतन करके परस्पर उसकी चर्चा करनी चाहिए । साथ ही गर्भ के साथ संवाद कर उसमें भक्ति, ज्ञान का अमृत सिंचन करना चाहिए । “मेरे गर्भ में दिव्यात्मा का वास हुआ है, मेरे गर्भ में स्वयं भगवान स्थित है, मेरे गर्भ से उत्पन्न होनेवाला यह शिशु जीवनमुक्त आत्मज्ञानी बनेगा”- मन-ही-मन इस प्रकार का चिंतन करें | यह सर्वश्रेष्ठ गर्भ संस्कार है |

Hits: 257

Open chat
1
गर्भ संस्कार केन्द्र में सम्पर्क करें -
गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।