सत्साहित्य अध्ययन
- जैसा साहित्य हम पढ़ते है , वैसे ही विचार मन के भीतर चलते रहते है और उन्हींसे हमारा सारा व्यवहार प्रभावित होता है |
- साहित्य व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । अतः सगर्भावस्था में गर्भवती को सावधानी बरतते हुए अध्ययन हेतु सही साहित्यों का चुनाव करना चाहिए ।
- आध्यात्मकि साहित्य-सेवन में संयम, स्वास्थ्य मजबूत करने की, मनोबल, आत्मबल, उत्साह को जागृत करने की अथाह शक्ति होती है ।
- श्रीमद् भगवद्गीता व अन्य देशभक्तिपूर्ण साहित्य पढ़कर ही चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, वीर सावरकर जैसे रत्न अपने जीवन को देशहित में लगा पाये ।
- अतः गर्भवती अपने शिशु को जैसे संस्कारों से युक्त देखना चाहती है वैसे ही साहित्य, मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत प्रसंग, संतों-महापुरुषों के जीवनचरित्र व उपदेश, श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण, उपनिषद, दासबोध, सुखमनि साहिब, विवेक चूणामणि, स्वामी रामतीर्थ के प्रवचन, जीवन रसायन, दिव्य प्रेरणा-प्रकाश आदि भारतीय संस्कृति के ग्रंथ पढ़ने चाहिए जिससे उसकी संतान भी दिव्य गुणों से युक्त हो ।
सत्साहित्य अध्ययन
जैसा साहित्य हम पढ़ते है , वैसे ही विचार मन के भीतर चलते रहते है और उन्हींसे हमारा सारा व्यवहार प्रभावित होता है |
साहित्य व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । अतः सगर्भावस्था में गर्भवती को सावधानी बरतते हुए अध्ययन हेतु सही साहित्यों का चुनाव करना चाहिए ।
आध्यात्मकि साहित्य-सेवन में संयम, स्वास्थ्य मजबूत करने की, मनोबल, आत्मबल, उत्साह को जागृत करने की अथाह शक्ति होती है ।
श्रीमद् भगवद्गीता व अन्य देशभक्तिपूर्ण साहित्य पढ़कर ही चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, वीर सावरकर जैसे रत्न अपने जीवन को देशहित में लगा पाये ।
अतः गर्भवती अपने शिशु को जैसे संस्कारों से युक्त देखना चाहती है वैसे ही साहित्य, मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत प्रसंग, संतों-महापुरुषों के जीवनचरित्र व उपदेश, श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण, उपनिषद, दासबोध, सुखमनि साहिब, विवेक चूणामणि, स्वामी रामतीर्थ के प्रवचन, जीवन रसायन, दिव्य प्रेरणा-प्रकाश आदि भारतीय संस्कृति के ग्रंथ पढ़ने चाहिए जिससे उसकी संतान भी दिव्य गुणों से युक्त हो ।
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