त्राटक

  • त्राटक अर्थात दृष्टि को ज़रा सा भी हिलाए बिना एक ही स्थान पर स्थित करना । 

  • एकाग्रता बढ़ाने के लिए त्राटक बहुत मदद करता है । स्मृतिशक्ति बढ़ाने में त्राटक उपयोगी है ।

  • ऋषिगण कहते हैं कि मन की एकाग्रता सब तपों में श्रेष्ठ तप है ।

    जिसके पास एकाग्रता के तप का खजाना है, वह योगी रिद्धि-सिद्धि एवं आत्मसिद्धि दोनों को प्राप्त कर सकता है । जो भी अपने महान कर्मों के द्वारा समाज में प्रसिद्ध हुए हैं, उनके जीवन में भी जाने-अनजाने एकाग्रता की साधना हुई है । विज्ञान के बड़े-बड़े आविष्कार भी इस एकाग्रता के तप के ही फल हैं ।

  • सगर्भावस्था के दौरान गर्भवती के द्वारा देखे गए दृश्यों, दिमाग व मन की स्थिति आदि का सीधा प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है यदि माता एकाग्र होती है तो शिशु भी एकाग्र व शांतचित्त होता है । 

  • अतः गर्भवती स्त्रियों को त्राटक का प्रयोग अवश्य करना चाहिए । 

  • त्राटक कई प्रकार के होते हैं । उनमें बिन्दु त्राटक, मूर्ति त्राटक एवं दीपज्योति त्राटक प्रमुख हैं । इनके अलावा प्रतिबिम्ब त्राटक, सूर्य त्राटक, तारा त्राटक, चन्द्र त्राटक आदि त्राटकों का वर्णन भी शास्त्रों में आता है । यहाँ पर प्रमुख तीन त्राटकों का ही विवरण दिया जा रहा है ।

विधिः किसी भी प्रकार के त्राटक के लिए शांत स्थान होना आवश्यक है, ताकि त्राटक करनेवाले साधक की साधना में किसी प्रकार का विक्षेप न हो ।
भूमि पर स्वच्छ, विद्युत-कुचालक आसन अथवा कम्बल बिछाकर उस पर सुखासन, पद्मासन अथवा सिद्धासन में कमर सीधी करके बैठ जायें । अब भूमि से अपने सिर तक की ऊँचाई माप लें । जिस वस्तु पर आप त्राटक कर रहे हों, उसे भी भूमि से उतनी ही ऊँचाई तथा स्वयं से भी उस वस्तु की उतनी ही दूरी रखें ।

त्राटक

  • त्राटक अर्थात दृष्टि को ज़रा सा भी हिलाए बिना एक ही स्थान पर स्थित करना । 

  • एकाग्रता बढ़ाने के लिए त्राटक बहुत मदद करता है । स्मृतिशक्ति बढ़ाने में त्राटक उपयोगी है ।

  • ऋषिगण कहते हैं कि मन की एकाग्रता सब तपों में श्रेष्ठ तप है ।

    जिसके पास एकाग्रता के तप का खजाना है, वह योगी रिद्धि-सिद्धि एवं आत्मसिद्धि दोनों को प्राप्त कर सकता है । जो भी अपने महान कर्मों के द्वारा समाज में प्रसिद्ध हुए हैं, उनके जीवन में भी जाने-अनजाने एकाग्रता की साधना हुई है । विज्ञान के बड़े-बड़े आविष्कार भी इस एकाग्रता के तप के ही फल हैं ।

  • सगर्भावस्था के दौरान गर्भवती के द्वारा देखे गए दृश्यों, दिमाग व मन की स्थिति आदि का सीधा प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है यदि माता एकाग्र होती है तो शिशु भी एकाग्र व शांतचित्त होता है । 

  • अतः गर्भवती स्त्रियों को त्राटक का प्रयोग अवश्य करना चाहिए । 

  • त्राटक कई प्रकार के होते हैं । उनमें बिन्दु त्राटक, मूर्ति त्राटक एवं दीपज्योति त्राटक प्रमुख हैं । इनके अलावा प्रतिबिम्ब त्राटक, सूर्य त्राटक, तारा त्राटक, चन्द्र त्राटक आदि त्राटकों का वर्णन भी शास्त्रों में आता है । यहाँ पर प्रमुख तीन त्राटकों का ही विवरण दिया जा रहा है ।

विधिः किसी भी प्रकार के त्राटक के लिए शांत स्थान होना आवश्यक है, ताकि त्राटक करनेवाले साधक की साधना में किसी प्रकार का विक्षेप न हो ।
भूमि पर स्वच्छ, विद्युत-कुचालक आसन अथवा कम्बल बिछाकर उस पर सुखासन, पद्मासन अथवा सिद्धासन में कमर सीधी करके बैठ जायें । अब भूमि से अपने सिर तक की ऊँचाई माप लें । जिस वस्तु पर आप त्राटक कर रहे हों, उसे भी भूमि से उतनी ही ऊँचाई तथा स्वयं से भी उस वस्तु की उतनी ही दूरी रखें ।

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गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।