उत्तरायण का पर्व प्राकृतिक नियमों से जुड़ा पर्व है। सूर्य की बारह राशियाँ मानी गयी हैं। हर महीने सूर्य के राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। इसमें मुख्य दो राशियाँ बड़ी महत्त्वपूर्ण हैं – एक मकर और दूसरी कर्क। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को ʹमकर सक्रान्तिʹ बोलते हैं। देवताओं का प्रभात उत्तरायण के दिन से माना जाता है। दक्षिण भारत में तमिल वर्ष की शुरूआत इसी उत्तरायण से मानी जाती है और ʹथई पोंगलʹ इस उत्सव का नाम है। पंजाब मे ʹलोहड़ी उत्सवʹ तथा सिंधी जगत में ʹतिर-मूरीʹ के नाम से इस प्राकृतिक उत्सव को मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस पर्व पर एक दूसरे को तिल-गुड़ देते हुए बोलते हैं ʹतिळ-गुळ घ्या, गोड-गोड बोलाʹ अर्थात् ʹतिल गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो।ʹ आपके स्वभाव में मिठास भर दो, चिंतन में मिठास भर दो।
उत्तरायण के दिन भगवान शिव को तिल-चावल अर्पण करने अथवा तिल-चावलमिश्रित जल से अर्घ्य देने का भी विधान है। आदित्य देव की उपासना करते समय सूर्यगायत्री मंत्र का जप करके अगर ताँबे के लोटे से जल चढ़ाते हैं और चढ़ा हुआ जल धरती पर गिरा, वहाँ की मिट्टी लेकर तिलक लगाते हैं तथा लोटे में बचाकर रखा हुआ जल महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए पीते हैं तो आरोग्य की खूब रक्षा होती है।इस पर्व पर तिल का विशेष महत्त्व माना गया है। तिल का उबटन लगाना, तिलमिश्रित जल से स्नान, तिलमिश्रित जल का पान, तिल का हवन, तिल सेवन तथा तिल दान – ये सभी पापशामक और पुण्यदायी प्रवृत्तियाँ हैं।
जिस दिन भगवान सूर्यनारायण उत्तर दिशा की तरफ प्रयाण करते हैं, उस दिन उत्तरायण (मकर सक्रान्ति) पर्व मनाया जाता है। इस दिन से अंधकारमयी रात्रि कम होती जाती है और प्रकाशमय दिवस बढ़ता जाता है। प्रकृति का यह परिवर्तन हमें प्रेरणा देता है कि हम भी अपना जीवन आत्म-उन्नति व परमात्मप्राप्ति की ओर अग्रसर करें। अज्ञानरूपी अंधकार को दूर कर आत्मज्ञानरूपी प्रकाश प्राप्त करने का यत्न करें। उत्तरायण के दिन से शुभ कर्म विशेष रूप से शुरु किये जाते हैं। आज के दिन दिया हुआ अर्घ्य, किया हुआ होम-हवन, जप-ध्यान और दान-पुण्य विशेष फलदायी माना जाता है। उत्तरायण पर्व पर दान का विशेष महत्त्व है। इस दिन कोई रूपया-पैसा दान करता है, कोई तिल-गुड़ दान करता है। आज के दिन लोगों को सत्साहित्य के दान का भी सुअवसर प्राप्त किया जा सकता है। परंतु हमारे गुरुदेव कहते हैं कि मैं तो चाहता हूँ कि आप अपने को ही भगवान के चरणों में दान कर डालो।