एक दृष्टि गर्भपात के भयंकर दुष्परिणामों पर डालें...

श्रीरामचरित के अयोध्याकाण्ड में आता है –
करम प्रधान बिस्व करि राखा ।
जो जस करई सो तस फलु चाखा ।।
अर्थात् यह संसार कर्मभूमि है । यहाँ जो जैसे कर्म करता है, वैसे ही फल को पाता है ।

इस सत्य से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है फिर भी आज देवभूमि भारत में गर्भपात बहुत सामान्य बात हो गयी है । संतान नहीं चाहिए… करवा दो गर्भपात । सोनोग्राफी करवायी…. कन्या है तो करवा दो गर्भपात… । कई बार तो कन्या होती ही नहीं, पुत्र होता है, परन्तु पैसों की लालच में सोनोग्राफीवाले कन्या बता देते हैं । और तो और, अब तो माँ जो कि स्वयं एक कन्या है, स्त्री है वो ही कन्या संतान नहीं चाहती, कन्या भ्रूण की पुष्टि होने पर गर्भपात करवा देती है… यहाँ पर आगे कहने के लिए कुछ नहीं रहता ।

भारत की गीता-रामायण एवं उपनिषदों में, भगवन्नाम में, परोपकार एवं सहिष्णुता में विश्वास रखनेवाली पीढ़ी की सोच समय के साथ संकीर्ण होती जा रही है । वो सोचते हैं ʹगुलशन में बस एक ही फूल, दूसरी कभी न होवे भूल…. दूसरा अभी नहीं, तीसरा कभी नहीं ।ʹ कोई कहता है किः ‘हमें तो सिंह जैसा एक ही बेटा हो तो बहुत है ।ʹ

पूज्य बापूजी कहते हैं – जो जीव 84 लाख योनियों में भटकते-भटकते आप जैसे पवित्र कुलों में दिव्य ज्ञान पाने, भक्ति, साधना-सेवा करके मुक्ति के मार्ग पर जाने के लिए आया, उसी को आप पैसे देकर, जहरीले दवाओं-इन्जैक्शनों के द्वारा अथवा कातिल औजारों के द्वारा टुकड़े-टुकड़े करवाकर फिंकवा दोगे ? कम-से-कम देश को ऐसे 2-4 बेटे तो दो जो भारतीय संस्कृति के संस्कारों से सम्पन्न हों । यह भी देश की सेवा है । एकाध देश की सेवा के लिए सेना में जाये, एकाध समाज की, एकाध धर्म की सेवा में लगे और एकाध माता-पिता की सेवा करे ।
लोग तर्क करते हैं कि जनसँख्या बढ़ेगी तो खाने को कहाँ से आएगा ? पर विचार करो – पहले जनसंख्या कम थी तो विदेशों से अन्न मँगवाना पड़ता था, अब जनसंख्या बढ़ी तो हम निर्यात कर रहे हैं । अतः जहाँ वृक्ष अधिक होते हैं, वहाँ वर्षा अधिक होती है तो क्या मनुष्य अधिक होंगे तो अन्न अधिक नहीं होगा ?

शास्त्र कहते हैं – जो स्त्री पूर्व जन्म में गर्भपात करवाती है उसे अगले जन्म में संतान सुख नहीं मिलता । पाराशरस्मृति में आता है – ʹब्रह्महत्या से जो पाप लगता है, उससे दुगुना पाप गर्भपात करने से लगता है ।

एक दृष्टि गर्भपात के भयंकर दुष्परिणामों पर भी तो डालो, फिर स्वयं निर्णय करना कि क्या सही है क्या नहीं ?

चलो पाप-पुण्य की परवाह नहीं तो कम-से कम अपने स्वास्थ्य, अपने आरोग्य और आयुष्य की तो परवाह करो । एक दृष्टि गर्भपात के भयंकर दुष्परिणामों पर भी तो डालो, फिर स्वयं निर्णय करना कि क्या सही है क्या नहीं ?

 भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार, गैरकानूनी एवं असुरक्षित ढंग से कराये जानेवाले गर्भपात से लाखों महिलाओं की मृत्यु हो जाती है । जो बचती हैं, उन्हें जीवन भर गहरी मानसिक यातना से गुजरना पड़ता है । साथ ही, लंबे समय तक संक्रमण, दर्द तथा बाँझपन जैसी जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।
 स्त्रियाँ गर्भपात के बाद पूरे जीवन पीड़ा पाती हैं । उनका शरीर रोगों का म्यूजियम बन जाता है ।
 गर्भपात करानेवाली स्त्रियों में से 30 प्रतिशत स्त्रियों को मासिक धर्म संबंधी तकलीफें हो जाती हैं ।
 लिंग परीक्षण करवाने से अपने आप गर्भपात होने व समयपूर्व-प्रसव होने की आशंका बढ़ जाती है । बार-बार अल्ट्रासाउंड कराने से शिशु के वजन पर दुष्प्रभाव पड़ता है ।
 स्तन कैंसर की सम्भावना में 30 प्रतिशत की वृद्धि होती है ।
 महिलाओं में हार्मोन्स का स्तर कम होने से फिर से माँ बनने की सम्भावना में कमी आ जाती है । यदि संतान होती भी है तो उसके कमजोर और अपंग होने की सम्भावना होती है ।
 सर्वाईकल कैंसर का ढाई गुना व अंडाशय (ओवेरियन) कैंसर का 50 प्रतिशत अधिक खतरा बढ़ जाता है ।
 मनोबल में कमी, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, आत्महत्या के विचारों व मानसिक तनाव में वृद्धि होती है । कमरदर्द की स्थायी शिकायत बढ़ सकती है ।
 गर्भपात के समय इन्फेक्शन होने पर जानलेवा पेल्विक इन्फलेमेटरी डिसीज की सम्भावना अधिक हो जाती है ।
 गर्भपात कराने वाली 50 प्रतिशत महिलाओं में फिर से गर्भपात होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।

गर्भनिरोधक साधनों और नसबंदी का विकल्प तो और भी हानिकर है ।
 नसबन्दी के द्वारा पुरुषत्व का अवरोध करने से, नाश करने से शारीरिक शक्ति भी नष्ट होती है और उत्साह, निर्भयता आदि मानसिक शक्ति भी नष्ट होती है ।
 जिन माताओं ने नसबन्दी ऑपरेशन करवाया है उनमें से बहुतों को रक्त एवं श्वेत प्रदर हो जाता है। ऑपरेशन करवाने से शरीर में कमजोरी आ जाती है, उठते-बैठते समय आँखों के आगे अँधेरा छा जाता है, छाती व पीठ में दर्द होने लगता है और काम करने की हिम्मत नहीं होती ।
 जो स्त्रियाँ नसबन्दी ऑपरेशन करा लेती हैं उनका स्त्रीत्व अर्थात् गर्भ-धारण करने की शक्ति नष्ट हो जाती है ।
 गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमान करने वाली महिलाओं को स्तन का कैंसर होने का खतरा है ।

निर्णय आपको ही लेना है….

Hits: 50

Open chat
1
गर्भ संस्कार केन्द्र में सम्पर्क करें -
गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा लोकहितार्थ दिव्य शिशु संस्कार अभियान प्रारंभ किया गया है ।