श्वासोश्वास की साधना...

हर कोई चिंतित है...

इन्द्रियों का स्वामी मन है और मन का स्वामी प्राण है । प्राण तालबद्ध न होने के कारण मन तालबद्ध नहीं, इसलिए इन्द्रियों पर मन का शासन ठीक नहीं चलता । औषधियाँ लेते हैं, इंजेक्शन लगवाते हैं, शल्यक्रिया (ऑपरेशन) भी कराते हैं, आयुर्वेदिक व् होमियोपैथिक उपचार भी करते हैं, फिर भी शरीर का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता । थोड़े दिन ठीक रहा-न-रहा फिर बेठीक हो जाता है । आज के मानव की यही समस्या है । वास्तव में स्वास्थ्य का, सुख का, आनंद का, माधुर्य का और सारी समस्याओं के समाधान का स्रोत जो है, उसको मानव भूलता चला गया । इसलिए आज समाज का हर वर्ग चिंतित है, हर व्यक्ति चिंतित है ।

क्या किया जाये ?

गर्भावस्था में सही जानकारी के अभाव में ये चिंता और भी बढ़ जाती है । कभी प्रेगनेंसी के दौरान आनेवाले छोटे-बड़े complications को लेकर, तो कभी गर्भस्थ शिशु के विकास को लेकर, तो कभी अपनी डिलीवरी को लेकर ।

ऐसे में क्या किया जाये कि मन के साथ-साथ तन भी स्वस्थ रहे ? ऐसा क्या किया जाये कि आपके साथ-साथ आपके बच्चे का तन और मन दोनों स्वस्थ रह सकें ?

आपको करनी है एक सहज-सी, सरल-सी साधना, जिसे करने में कोई परिश्रम नहीं है, जो कभी भी, कहीं भी की जा सकती है, जो केवल गर्भवती बहनों को ही नहीं; बल्कि सभी को करनी चाहिए और life time करनी चाहिए जिसका नाम है श्वासोश्वास की साधना !

लाभ :

Pregnancy में यह साधना माँ और शिशु दोनों को दीर्घायु बनाती है । इसके नियमित अभ्यास से तनाव व बेचैनी दूर होते हैं और blood pressure नियंत्रित रहता है, Plus Rate नॉर्मल रहती है । ध्यान के समय आने-जाने वाले श्वास पर ध्यान देना, हमें न सिर्फ शारीरिक; बल्कि मानसिक विकारों से भी दूर रखता है । साथ ही जिस शांति और आनंद की अनुभूति होती है, उसके लिए तो शब्द भी कम पड़ जाते हैं ।

श्वासोश्वास की साधना कैसे करें ?

श्वासोश्वास की साधना का अर्थ है प्राणों को निहारना अर्थात् जो श्वास चल रहे हैं उन्हें देखना । साथ में भगवान्नाम मिला दें तो सोने पे सुहागा हो जायेगा ! जैसे, श्वास अंदर जाय तो ॐ, हरि, गुरु या जो भी भगवन्नाम प्यारा लगे वो, और बाहर आए तो गिनती, जैसे श्वास अंदर जाय तो हरि, बाहर आए तो 1, श्वास अंदर जाय तो शिव, बाहर आए तो 2 । अपनी और से प्रयत्न करके श्वास नहीं लेना है, बल्कि जो श्वास स्वाभाविक चल रहा हो, उसी को देखना है । इस प्रकार से 108 तक की गिनती बिना भूले रोज करें, कम से कम 51 तक तो करनी ही है । प्रतिदिन रात्रि को सोते समय यह साधना करने से आपकी निद्रा योगनिद्रा बन जायेगी ।

घंटोंभर पार्टी या क्लबों में जाने की अपेक्षा मात्र 8-10 मिनट का यह प्रयोग माँ और बच्चे दोनों के लिए बेहद लाभकारी है ।   करके देखिये, फिर बताईयेगा कि आपको इस साधना से क्या लाभ हुआ ।

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