सुंदर व स्वस्थ संतान के लिए अवश्य खाएं

आँवला

आँवले को धात्रीफल भी कहा जाता है । यह त्रिदोषशामक, विशेषकर पित्त व कफ शामक है । आँवला शुक्रवर्धक, रुचिकर, भूखवर्धक, भोजन पचाने में सहायक, मलमूत्र को साफ लानेवाला व शरीर की गर्मी को कम करनेवाला है । यह मधुर, अम्ल, कड़वा, तीखा व कसैला इन पाँच रसों की शरीर में पूर्ति करता है । आँवले के सेवन से आयु, स्मृति, कांति एवं बल बढ़ता है । हृदय एवं मस्तिष्क को शक्ति मिलती है । आँखों के तेज में वृद्धि, बालों की जड़ें मजबूत होकर बाल काले होना आदि अनेकों लाभ होते हैं । शास्त्रों में आँवले का सेवन पुण्यादायी माना गया है । अतः अस्वस्थ एवं निरोगी सभी को आँवले का किसी-न-किसी रूप में सेवन करना ही चाहिए ।
शरद पूनम के बाद से आँवले वीर्यवान माने जाते हैं । आँवले के सेवन से शरीर में धातुओं का निर्माण होता है और यह शरीर की रस, रक्त आदि सप्तधातुओं के दोषों को दूर करता है । इस प्रकार यह युवावस्था को बनाये रखने में सहायक है ।

गुणकारी आँवले के कुछ औषधीय प्रयोग

1. जिन्हें भोजन में अरुचि हो या भूख कम लगती हो उन्हें भोजन से पहले 2 चम्मच आँवला रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।
2. नाक, मूत्रमार्ग, गुदामार्ग से रक्तस्राव, योनिमार्ग में जलन व अतिरिक्त रक्तस्राव, पेशाब में जलन, रक्तप्रदर, त्वचा विकार आदि समस्याओं में आँवला रस अथवा आँवला चूर्ण दिन दो बार लेना लाभदायी है ।
3. आँवला रस में 4 चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लें । यह स्वप्नदोष, मधुमेह व पेशाब में धातु जाना आदि सभी प्रकार के प्रमेहों में श्रेष्ठ औषधि है ।
4. अम्लपित्त, सिरदर्द, सिर चकराना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, उलटी होना आदि में आँवला रस या चूर्ण मिश्री मिलाकर लेना फायदेमंद है ।
5. रक्ताल्पता या पीलिया जैसे विकारों में आँवला चूर्ण का दिन में 2 बार उपयोग करने से रस-रक्त का पोषण होकर उन विकारों में लाभ होता है ।
6. आँवला एवं मिश्री का मिश्रण घी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से असमय बालों का सफेद होना व झड़ना बंद हो जाता है तथा सभी ज्ञानेन्द्रियों की कार्यक्षमता बढ़ती है ।
7.10-15 मि.ली. आँवला रस में उतना ही पानी मिलाकर मिश्री, शहद अथवा शक्कर का मिश्रण करके भोजन के बीच में लेने वाला व्यक्ति कुछ ही सप्ताह में निरोगी काया व बलवृद्धि का एहसास करता है, ऐसा कइयों का अनुभव है। (वैद्य सम्मत)
8. आँवले के रस में 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण व मिश्री मिलाकर लेने से शरीरपुष्टि, वीर्यवृद्धि एवं वंध्यत्व में लाभ होता है । स्त्री-पुरुषों के शरीर में शुक्रधातु की कमी का रोग निकल जाता है और संतानप्राप्ति की ऊर्जा बनती है ।

विशेष ध्यान रखें :

सेवन मात्राः आँवला चूर्ण – 2 से 5 ग्राम, आँवला रस – 15 से 20 मि.ली.
ध्यान दें- आगे-पीछे 2 घंटे तक दूध न लें ।
रविवार व शुक्रवार को आँवले का सेवन वर्जित है ।
सप्तमी, नवमी, अमावस्या, रविवार, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण तथा सक्रांति – इन तिथियों को छोड़कर बाकी के दिन आँवले का रस शरीर पर लगाकर स्नान करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है। (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड)
मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सदगति होती है। (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड)

गर्भपोषक आँवला

आँवला रसायन होने के कारण यह गर्भ में सारभूत उत्तम धातुओं (अंग-प्रत्यंगों) का निर्माण करता है, वर्ण में निखार लाता है, हृदय व हड्डियों को मजबूत बनाता है, रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है । आँवले के प्रभाव से शिशु ओजस्वी व सुंदर होता है ।

गर्भावस्था के दौरान आँवले का मुरब्बा प्रतिदिन सेवन करने से बालक स्वस्थ और गौरवर्ण होता है ।

प्रतिदिन २ नग आँवले का मुरब्बा खाने से अथवा १० से २० मिली. आँवले का रस १० ग्राम घी अथवा शहद मिलाकर पीने से प्रसव नैसर्गिक रूप से बिना किसी कष्ट के होता है ।

भोजन के साथ आँवले का हलवा/सीरा, मुरब्बा अथवा चटनी का सेवन करने से जी मिचलाना, खट्टी डकारें, सिरदर्द, उल्टी, जलन, प्यास आदि पित्तजन्य तकलीफों; भोजन में अरुचि, भूख न लगना, थकान, कमजोरी आदि अनेक समस्याओं से छुटकारा मिलता है ।

जिनके वंश में मधुमेह (Diabetes), थेलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया आदि रोग परम्परा से चलते आ रहे है, उन्हें सगर्भावस्था में प्रतिदिन आँवले के सेवन पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।

आँवले के स्वादिष्ट, पौष्टिक और सुपाच्य व्यंजन

आँवले के मीठे लच्छे

सामग्रीः 500 ग्राम आँवला, 5 ग्राम काला नमक, चुटकीभर सादा नमक, चुटकीभर हींग, 500 ग्राम मिश्री, आधा चम्मच नींबू का रस, 150 ग्राम तेल ।

विधिः आँवलों को धोकर कद्दूकश कर लें । गुलाबी होने तक इनको तेल में सेंके । फिर कागज पर निकालकर रखें ताकि कागज सारा तेल सोख ले । इनमें काला नमक व नींबू का रस मिलाकर अलग रख दें । मिश्री की चाशनी बनाकर इनको उसमें थोड़ी देर पका लें । बस, हो गये आँवले के मीठे लच्छे तैयार ! इन्हें काँच के बर्तन में भरकर रख लें ।

आँवले की चाय, शरबत और चटनी

१-२ किलो आँवले धो-धा के कुकर में डाल दो । २५ से ५० मि.ली. पानी डाल दो। एक सीटी बजे न बजे, आँवले उतार लो । थोड़ी देर बाद कुकर खोल के आँवलों की गुठलियाँ निकालकर आँवलों को जरा मथ के उनका मावा-सा बना लो ।

फिर घी हो तो घी, नहीं तो तेल में उनको सेंक लो । जितना आँवला हो उतनी ही शक्कर या मिश्री की एक तारवाली चाशनी बनाकर उसमें मिला दो और उसे अच्छे-से गरम कर लो । उसमें से आधा अलग करके रख दो और रोज १० ग्राम एक गिलास में डाल दो। शरबत पीने का शौक है तो उसमें ठंडा पानी डालो और चाय पीने का शौक है तो गर्म पानी डालो । अगर धातु कमजोर है, स्वप्नदोष है, सफेद पानी पड़ने की बीमारी है तो १ ग्राम हल्दी डाल के चुसकी ले के पियो । चाय की चाय, शरबत का शरबत !

बाकी का जो आधा मिश्रण बचा है उसमें धनिया, मिर्च और जो भी मसाला हो उसे डालकर चटनी बना दो । भोजन के पहले थाली में १-१ चम्मच चटनी परोस दो । आँवले की चटनी खाने के बाद जो भोजन खायेगा उसका भोजन पुष्टिदायी हो जायेगा ।

ताजे आँवलों से बना ‘च्यवनप्राश’ भी शक्ति, स्फूर्ति, ताज तथा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने की श्रेष्ठ औषधि है । च्यवनप्राश मिश्रीयुक्त ‘आँवला चूर्ण’ के साथ ही आँवला रस, आँवला कैंडी, आँवला अचार, आँवला पाउडर आदि आँवले से बने उत्पाद संत श्री आशारामजी आश्रमों में व समितियों के सेवाकेन्द्रों से प्राप्त हो सकते हैं । इनका उपयोग करके आँवले के विभिन्न गुणों का लाभ ले सकते हैं ।

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