गाय का दूध : शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार

गाय का दूध : शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार

माँ के दूध के अलावा जब बच्चा अन्य आहार लेने लगता है, तब देशी गाय का दूध उन शिशुओं के लिए सबसे उत्तम आहार है । गोदुग्ध में क्षार अधिक होते हैं तथा पाचक रसों का पर्याप्त समावेश होता है, जिससे इस दूध को बालक का कोमल पाचन तंत्र सरलता से पचा लेता है । गाय का दूध बुद्धि व स्फूर्तिवर्धक भी है ।
भैंस के दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस जैसे तत्त्व माँ तथा गाय के दूध की तुलना में अधिक होते हैं जिससे पाँच वर्ष तक के शिशु की kidneys उन्हें सहन नहीं कर पाती और उसकी kidneys में पथरी बनने लगती है । इसलिए बच्चों को भैंस के बजाय गाय का दूध देना चाहिए ।

गर्भिणी और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए जरूरी है गोदुग्ध

प्रसव के पूर्व माँ के गर्भ में जब बालक का निर्माण होता है, उस समय यदि माँ को गोदुग्ध दिया जाय तो उसके स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है और गर्भस्थ शिशु की वृद्धि भी सही ढंग से होती है । प्रसव के बाद स्तनपान काल में भी माँ को गोदुग्ध का सेवन कराया जाय तो स्तनपान कराने से शरीर में जिन तत्त्वों की आवश्यकता उत्पन्न होती है, उनकी पूर्ति भली प्रकार हो जाती है ।

यदि कोई बच्चा भारतीय नस्ल की गाय का दूध बचपन में तीन वर्ष भी सेवन कर ले तो वह मानसिक और शारीरिक रूप से इतना सक्षम हो सकता है कि वह अपने जीवन में कम-से-कम बीमार पड़ेगा (जैसे पूज्य बापूजी) ।

कोई कुपोषित बच्चा हो तो उसे मात्र एक वर्ष ऐसा दूध मिल जाय तो उसका कुपोषण दूर हो जायेगा ।

‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के अनुसार गोदुग्ध माता के दूध के बाद सबसे अधिक उपयोगी है ।

गाय का दूध पीनेवाले बच्चे होते हैं ज्यादा समझदार व ताकतवर

देशी गाय का दूध शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि करता है । गोदुग्ध में तेज तत्त्व अधिक मात्रा में एवं पृथ्वी तत्त्व बहुत कम मात्रा में होने से इसका सेवन करनेवाला प्रतिभासम्पन्न व तीव्र ग्रहण शक्तिवाला हो जाता है । गोदुग्ध में उपस्थित ‘सेरीब्रोसाइड्स’ मस्तिष्क को ताजा रखने एवं बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए उत्तम टॉनिक का काम करते हैं ।

‘डूडी विश्वविद्यालय’ के शोधकर्ताओं द्वारा इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, इटली तथा बेल्जियम के १५० बच्चों पर एक अध्ययन किया गया । इन बच्चों को दो समूहों में बाँटा गया । एक समूह उन बच्चों का था जो नियमित रूप से दूध पीते थे और दूसरे समूह में वे बच्चे थे जो दूध नहीं पीते थे । अध्ययन के बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि अन्य पोषक आहार का सेवन करनेवाले लेकिन दूध न पीनेवाले बच्चों के मुकाबले में दूध पीनेवाले बच्चे ज्यादा समझदार व ताकतवर होते हैं । इससे बच्चों का बेहतर विकास होता है । दूध के सेवन से न केवल दिमागी शक्ति में वृद्धि होती है बल्कि समस्याओं का भी बेहतर ढंग से समाधान कर पाना सम्भव होता है ।

शोध से यह भी पता चला कि दूध पीनेवाले बच्चों में निम्न रक्तचाप से लड़ने की क्षमता भी अधिक होती है । ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ (एम्स) के अनुसार ‘हड्डियों के रोगों से बचने के लिए छोटी उम्र से ही दूध पीने की आदत डालनी चाहिए । नियमित रूप से दूध पीनेवाले लोगों में बीमारियाँ नहीं पनपतीं, उन्हें कमजोरी नहीं सताती ।’

गाय का दूध पीनेवाले प्रसन्न रहते हैं । गाय के दूध में ‘ट्रिप्टोफेन’ सबसे अधिक पाया जाता है जो ‘सेरोटोनिन’ हार्मोन की कमी नहीं होने देता । इस हार्मोन की कमी से ही मनोदशा बिगड़ती है ।

यदि आप चाहते हैं कि आपका शरीर सुंदर एवं सुगठित हो, वजन एवं कद में खूब वृद्धि हो, आप मेधावी और प्रचंड बुद्धिशक्तिवाले व विद्वान बनें तो नियमित रूप से देशी गाय के दूध, घी, मक्खन का सेवन करें । अपने बच्चों को भी देशी गाय का दूध, मक्खन, घी खिलायें ।

ध्यान रहें :

दूध को खूब फेंटकर झाग पैदा करके धीरे-धीरे घूँट-घूँट पीना चाहिए । इसका झाग त्रिदोषनाशक, बलवर्धक, तृप्तिकारक व हलका होता है ।
ये विशेषताएँ केवल देशी गाय के दूध में ही होती हैं । जर्सी गाय, भैंस अथवा बकरी आदि के दूध से उपरोक्त लाभ नहीं होते ।
सावधानी : दूध को खूब उबाल-उबालकर गाढ़ा करके पीना हानिकारक है ।

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